जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बालाघाट जिले के परसवाड़ा जनपद क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की समस्या लंबे समय से ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। शुक्रवार को तंग आकर ग्रामीणों ने बालाघाट-बैहर राजमार्ग पर चक्काजाम कर दिया। प्रदर्शन में मोहनपुर, चालीसबोड़ी, कसंगी और कावेली गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में बीएसएनएल का टावर तो है, लेकिन नेटवर्क न के बराबर मिलता है।
20 किलोमीटर दूर जाकर करना पड़ता है मोबाइल इस्तेमाल
ग्रामीणों का आरोप है कि नेटवर्क की सुविधा इतनी खराब है कि मोबाइल फोन से बात करने या इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर दूर बालाघाट या उकवा जाना पड़ता है। बार-बार की समस्या से परेशान लोग कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके हैं। 30 मई को आयोजित जनसमस्या निवारण शिविर और 5 अगस्त की जनसुनवाई में भी इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने से नाराज ग्रामीणों ने अब सड़क पर उतरकर विरोध जताया।
स्वास्थ्य सेवाएं और शासकीय कामकाज ठप
परसवाड़ा जनपद पंचायत सदस्य रमेश पंद्रे ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क की अनुपलब्धता का सीधा असर ग्रामीणों की दैनिक जिंदगी पर पड़ रहा है। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं में मरीजों और डॉक्टरों के बीच संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं शासन की कई ऑनलाइन आधारित योजनाएँ, जैसे पेंशन आवेदन, संबल योजना और मनरेगा का काम भी प्रभावित हैं। मजदूरों की हाजरी और मस्टर रोल की एंट्री नेटवर्क न होने के कारण रुकी हुई है।
18 से अधिक गांवों के लोग प्रभावित
यह समस्या सिर्फ कुछ गांवों तक सीमित नहीं है। नक्सल प्रभावित बैहर और परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के जंगल इलाकों में बसे 18 से अधिक गांव इस संकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और नेटवर्क प्रदाता कंपनियां उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहीं, जिसके चलते उन्हें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा।
चक्काजाम से रुका यातायात, जारी है धरना
गांगुलपारा के बंजारी क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा किए गए चक्काजाम से मार्ग पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। कई घंटों तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। फिलहाल ग्रामीणों का धरना जारी है और वे तब तक आंदोलन खत्म न करने की चेतावनी दे रहे हैं, जब तक उनकी समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता।