बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों को ममता का तोहफा: 500 करोड़ का अनुदान, हर पंडाल को 1.10 लाख; भाजपा बोली – ‘ममता ने दुर्गा पूजा को बना दिया चुनावी प्रचार मंच’!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

पश्चिम बंगाल में इस साल दुर्गा पूजा को लेकर रिकॉर्ड तोड़ तैयारियां हो रही हैं। राज्य में कुल 45 हजार से ज्यादा दुर्गा पंडाल बनाए जा रहे हैं, जिनमें से करीब 3100 पंडाल सिर्फ कोलकाता में सजाए गए हैं। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार ने इस बार प्रत्येक पूजा पंडाल को 1.10 लाख रुपये का अनुदान देने का फैसला किया है। इस हिसाब से राज्य सरकार कुल मिलाकर लगभग 500 करोड़ रुपये पंडालों की मदद में खर्च करेगी।

2018 से शुरू हुआ अनुदान, अब 11 गुना बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साल 2018 में पहली बार पूजा पंडालों को अनुदान देना शुरू किया था। उस समय राज्य में करीब 28 हजार पंडाल होते थे और प्रत्येक को 10 हजार रुपये दिए जाते थे। पिछले सात सालों में पंडालों की संख्या में लगभग 60% की वृद्धि हुई है और अनुदान राशि भी अब तक 11 गुना बढ़ चुकी है।

पिछले साल सरकार ने 85 हजार रुपये प्रति पंडाल दिए थे, जबकि इस बार सीधे 25 हजार रुपये की बढ़ोतरी कर 1.10 लाख रुपये कर दिया गया है।

अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर: 10 दिन में 1 लाख करोड़ का कारोबार

इकोनॉमिक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि शारदीय नवरात्र और दुर्गा पूजा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है।
कलकत्ता विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स विभाग के एचओडी पंचानन दास के मुताबिक, “दुर्गा पूजा छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े उद्योगों तक सभी को आर्थिक ताकत देती है।”

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल दुर्गा पूजा के 10 दिनों में राज्य में 80 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है, क्योंकि महंगाई के कारण खर्च बढ़ गया है और पंडालों की संख्या भी ज्यादा हो गई है।

पूजा कमेटियों का पक्ष: खर्च 60% बढ़ा

पूजा समितियों का कहना है कि पिछले 7 सालों में पंडाल सजावट, लाइटिंग, लेबर, कच्चा माल और पूजन सामग्री की कीमतें 60% से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। ऐसे में पंडालों का बजट भी लगातार बढ़ रहा है। कई आयोजक मानते हैं कि सरकार का अनुदान आर्थिक बोझ कम करने में मदद करता है।

भाजपा का आरोप: ‘सियासी फायदा लेना चाहती हैं ममता’

हालांकि विपक्ष खासकर भाजपा ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। भाजपा प्रवक्ता और संतोष मित्रा स्क्वॉयर पूजा पंडाल के आयोजक सजल घोष ने कहा, “हम तृणमूल सरकार से कोई अनुदान नहीं लेते। सरकार इन पंडालों को चुनावी प्रचार का मंच बना रही है। अगले साल चुनाव होने वाले हैं, इसलिए अनुदान की राशि बढ़ाई गई है।”

तृणमूल का बचाव: ‘सभी पंडालों को बराबरी से अनुदान’

वहीं, विधानसभा के स्पीकर और तृणमूल नेता बिमान बनर्जी ने कहा कि सरकार अनुदान देने में कोई भेदभाव नहीं करती।“कोलकाता में 4-5 भाजपा समर्थित बड़े पंडाल हैं। सरकार उन्हें भी अनुदान देती है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

दुर्गा पूजा बंगाल की पहचान मानी जाती है। राज्य की राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था सभी पर इसका गहरा असर है। ऐसे में चुनावी साल में पंडालों को अनुदान बढ़ाना निश्चित रूप से राजनीतिक बहस का कारण बन गया है। एक ओर आयोजक इसे आर्थिक मदद मान रहे हैं, वहीं भाजपा इसे चुनावी हथकंडा बता रही है।

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