“मन की बात” 123वां एपिसोड: पीएम मोदी ने सुनाई बालाघाट की सूमा उईके की आत्मनिर्भरता की कहानी, पीएम ने ILO रिपोर्ट का भी किया जिक्र!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” का 123वां एपिसोड रविवार को प्रसारित हुआ। इस बार का संबोधन न सिर्फ प्रेरणा से भरपूर था, बल्कि इसमें देश की सामाजिक, स्वास्थ्य और धार्मिक चेतना से जुड़ी अनेक पहलुओं को गहराई से छुआ गया। प्रधानमंत्री ने बालाघाट की एक साधारण महिला सूमा उईके के असाधारण प्रयासों की सराहना की, भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित किए जाने की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया, और धार्मिक यात्राओं की आध्यात्मिक शक्ति पर विशेष बल दिया।

पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की कटंगी ब्लॉक की रहने वाली सूमा उईके की कहानी से की। उन्होंने कहा कि सूमा जी का प्रयास सचमुच प्रेरणादायक है। उन्होंने एक छोटे से सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली। इससे उन्हें न सिर्फ आजीविका का नया रास्ता मिला, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह भी प्रशस्त हुई।

प्रधानमंत्री ने बताया कि सूमा ने अपनी आय बढ़ने के बाद काम का विस्तार किया। आज उनके प्रयास “दीदी कैंटीन” और “थर्मल थेरेपी सेंटर” तक पहुंच चुके हैं। यह केवल सूमा की ही नहीं, बल्कि देश की लाखों महिलाओं की कहानी है, जो आज अपने छोटे-छोटे कदमों से न केवल खुद की किस्मत बदल रही हैं, बल्कि भारत की तस्वीर भी संवार रही हैं।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत को बड़ी सफलता – ट्रेकोमा मुक्त घोषित

प्रधानमंत्री ने भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित किए जाने की बड़ी उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को इस बीमारी से मुक्त करार दिया है। उन्होंने इसे भारत के स्वास्थ्य कर्मियों की वर्षों की मेहनत और हर घर जल अभियान की सफलता का नतीजा बताया। ट्रेकोमा एक गंभीर संक्रमण है जो अंधत्व का कारण बनता है। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश के लिए यह उपलब्धि स्वास्थ्य नीति और जन-भागीदारी की जीत मानी जा रही है।

95 करोड़ भारतीय सरकारी योजनाओं से लाभान्वित

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि देश के 95 करोड़ नागरिक किसी न किसी सरकारी योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुंच रही हैं और आम जनता को इसका सीधा लाभ मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस जनकल्याणकारी मॉडल को “जनभागीदारी से जनकल्याण” की संज्ञा दी और इसे भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम कदम बताया।

धार्मिक यात्राएं – श्रद्धा, सेवा और आत्मिक अनुशासन का संगम

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने धार्मिक यात्रा की परंपरा पर भी विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू हुई है और यह हमारे समाज की श्रद्धा, सेवा और आत्मिक अनुशासन की मिसाल है। उन्होंने कहा कि जब कोई तीर्थयात्री निकलता है, तो लोगों के मन में एक ही भावना होती है – “चलो, बुलावा आया है।” यही भाव भारतीय आस्था और परंपरा की आत्मा है।

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इन यात्राओं के दौरान न सिर्फ यात्रियों का आत्मिक शुद्धिकरण होता है, बल्कि सामाजिक एकता, प्रेम और सहयोग की भावना भी बलवती होती है।

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