जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक 15 दिन बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और इसी के तहत गृह मंत्रालय के निर्देश पर मंगलवार शाम 4 बजे मध्यप्रदेश के पांच बड़े शहरों – भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और कटनी – में एक साथ मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य था आतंकी हमलों, बम धमाकों, हवाई हमले और आगजनी जैसे हालात में रेस्क्यू ऑपरेशन, चिकित्सा सहायता, ट्रैफिक कंट्रोल, और ब्लैकआउट प्रोटोकॉल को टेस्ट करना।
भोपाल में मॉक ड्रिल का केंद्र डीबी मॉल रहा, जहां आग लगने के हालात में सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने और पास ही बने नूतन कॉलेज के अस्थायी अस्पताल तक पहुंचाने का अभ्यास किया गया। हालांकि, यहां एक चूक भी देखने को मिली, जब ऑक्सीजन सिलेंडर तो लाया गया लेकिन ऑक्सीजन मास्क नहीं था, जिससे एक ‘घायल मरीज’ को दूसरे बेड पर शिफ्ट करना पड़ा।
इंदौर में डेंटल कॉलेज को फायर ज़ोन घोषित किया गया और आपातकालीन रिस्पॉन्स के तौर पर लोगों को निकाला गया। कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने राजधानी भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को वीडियो कॉल के जरिए लाइव अपडेट दिए।
जबलपुर के समदड़िया मॉल में ड्रिल की गई, जबकि ग्वालियर में हालात और भी रियलिस्टिक बनाए गए। यहां हवाई हमले के प्रतीकात्मक सीन में एक बिल्डिंग को मलबे से ढका दिखाया गया। घायलों को मलबे से निकालकर एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल भेजा गया। ग्वालियर रेलवे स्टेशन और हाई राइस बिल्डिंग पर मिसाइल अटैक का सीन रचा गया, जिससे लोगों को असली खतरे की स्थिति में व्यवहारिकता का अनुभव कराया गया।
कटनी में साधु राम स्कूल में मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। सायरन बजते ही जवान सक्रिय हो गए। प्रतीकात्मक रूप से स्कूल की छत पर बम गिराया गया, जिसके बाद जवानों ने छत पर पहुंचकर हालात को नियंत्रित करने का अभ्यास किया। कलेक्टर दिलीप यादव और एसपी अभिजीत कुमार रंजन मौके पर मौजूद रहे और पूरी कार्यवाही का निरीक्षण किया।
इस दौरान सबसे ड्रामेटिक और चौंकाने वाला सीन था ब्लैकआउट का, जो शाम 7:30 से 7:42 बजे तक चला। इससे पहले रेड अलर्ट सायरन बजा, और फिर पूरे शहर की स्ट्रीट लाइट्स बंद कर दी गईं। प्रशासन ने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों, दुकानों, कार्यालयों की लाइटें बंद रखें। वाहन चालकों से भी हेडलाइट बंद रखने को कहा गया। 7:42 पर ग्रीन सायरन बजा, जो “ऑल क्लियर सिग्नल” था और इसके बाद सामान्य रोशनी बहाल की गई।
पूरे ऑपरेशन को सिविल डिफेंस, पुलिस, एनडीआरएफ, मेडिकल टीम, और प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलकर अंजाम दिया। यह मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी को परखने का एक माध्यम थी, बल्कि आम नागरिकों को भी यह समझाने के लिए थी कि संकट के समय किस तरह से संयम और सजगता से काम लेना चाहिए।