जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की राजनीति से बुधवार को एक ऐसा चेहरा हमेशा के लिए विदा हो गया, जिसने अपने व्यक्तित्व, विचारों और बेबाकी से दोनों ही दलों में गहरी छाप छोड़ी थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और इंदौर के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सलूजा का अचानक निधन हार्ट अटैक से हो गया। मंगलवार रात तक वे पूरी तरह सक्रिय थे और सीहोर में एक शादी समारोह में भी शरीक हुए थे। लेकिन बुधवार दोपहर, 56 वर्ष की आयु में उनका यूं अचानक चले जाना पूरे राजनीतिक जगत को हिला गया।
नरेंद्र सलूजा का आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट अक्षय तृतीया की शुभकामनाओं को लेकर था। उनके करीबी पत्रकार मित्र अरविंद तिवारी ने बताया कि वे अगले महीने अमेरिका जाकर अपनी बेटी से मिलने वाले थे, जो उनके बेहद करीब थीं। अब बेटी के भारत लौटने के बाद ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
नरेंद्र सलूजा का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प और उतार-चढ़ाव भरा रहा। वे कॉलेज के दिनों से ही कांग्रेस से जुड़े रहे और सज्जन सिंह वर्मा जैसे नेताओं के कट्टर समर्थक रहे। कांग्रेस में उन्होंने ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर प्रदेश मीडिया टीम तक लंबी यात्रा तय की। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेहद करीबी माने जाते थे और मीडिया रणनीति से लेकर पार्टी की आंतरिक बैठकों तक सलूजा की गहरी भूमिका होती थी। बता दें, सलूजा ने 25 नवंबर 2022 को बीजेपी की सदस्यता ली थी।
बीजेपी में आते ही नरेंद्र सलूजा ने पार्टी के पक्ष में मोर्चा संभाल लिया। वे सोशल मीडिया के सबसे सक्रिय और मुखर प्रवक्ताओं में से एक बन गए। अपने ट्वीट्स, पोस्ट्स और प्रेस बयानों में वे चुटीले व्यंग्य और तथ्यात्मक हमलों से विपक्ष को घेरते थे। उनके शब्दों में तीखापन और सटीकता होती थी, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनती थी। यही वजह थी कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक, सलूजा की बातों को गंभीरता से लिया जाता था।
दिलचस्प बात यह रही कि बीजेपी जॉइन करने के बाद भी सलूजा ने कभी कमलनाथ की कार्यशैली या उनके व्यक्तित्व को लेकर आलोचना नहीं की। वे हमेशा कहते थे कि “कमलनाथ एक शानदार व्यक्तित्व हैं” और जब वे सीएम थे, तो दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों की लाइन उनके दरवाजे पर लगती थी।
सलूजा के अचानक निधन से न केवल बीजेपी, बल्कि कांग्रेस खेमे में भी शोक की लहर दौड़ गई है। शिवराज सिंह चौहान ने सलूजा को याद करते हुए कहा कि “वे अकेले ही सब पर भारी पड़ते थे” और “अपने शब्द बाणों से विपक्ष को करारा जवाब देने वाले सलूजा जी अब हमारे बीच नहीं हैं।” वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, तुलसी सिलावट, जीतू पटवारी और रमेश मेंदोला सहित तमाम नेताओं ने गहरा दुख जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।