मध्यप्रदेश में सनसनीखेज वारदात: मऊगंज में बंधक युवक को बचाने पहुंची पुलिस तो खुद बन गई शिकार, 250 लोगों की भीड़ ने पुलिस पर किया हमला; ASI की मौत, 10 घायल

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले के गड़रा गांव में शनिवार को जो हुआ, उसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। शाहपुर थाना क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के लोगों ने एक युवक को बंधक बनाकर पीटा और जब पुलिस उसे बचाने पहुंची, तो उन पर भी जानलेवा हमला कर दिया गया। इस हिंसक झड़प में एएसआई रामगोविंद गौतम की मौत हो गई, जबकि टीआई संदीप भारती और हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका समेत 10 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले के बाद गांव में तनाव फैल गया और हालात को काबू में करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

कैसे भड़की हिंसा?

यह मामला दो महीने पहले हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा है, जिसमें अशोक आदिवासी की मृत्यु हो गई थी। उसके परिवार का कहना है कि यह एक हत्या थी, जिसमें सनी द्विवेदी शामिल था। इसी प्रतिशोध के चलते शनिवार शाम लगभग 4 बजे, आदिवासी परिवार ने सनी को पकड़कर एक कमरे में बंद कर दिया और उसकी पिटाई की, जिसके परिणामस्वरूप सनी की भी जान चली गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि सनी दोपहर करीब 1:30 बजे आरोपियों के मोहल्ले में गया था, जहां अशोक के परिवार ने उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी, और इसके बाद लगभग 250 आदिवासी लोग इकट्ठा हो गए। जब पुलिस वहां पहुंची, तो उन पर हमला किया गया।

ASI की मौत, पुलिसकर्मी और तहसीलदार गंभीर रूप से घायल

इस हमले में एसएएफ के एएसआई रामगोविंद गौतम की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, शाहपुर थाना प्रभारी टीआई संदीप भारती के सिर पर गंभीर चोटें आईं। हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका को भी बेरहमी से पीटा गया, जिससे उनके हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो गया। इसके अलावा 8 अन्य पुलिसकर्मी भी इस हिंसा में बुरी तरह घायल हो गए।

घटना के बाद घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कई पुलिसकर्मियों की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतक एएसआई रामगोविंद गौतम भोपाल की 25वीं बटालियन में तैनात थे और वे सतना के पवैया गांव के रहने वाले थे। वे केवल 8 महीने बाद रिटायर होने वाले थे, लेकिन ड्यूटी पर रहते हुए उन्होंने अपनी जान गंवा दी।

पुलिस को खुद को बचाने के लिए छुपना पड़ा!

इस खूनी संघर्ष में एसडीओपी अंकिता शूल्या और एसआई आरती वर्मा ने खुद को बचाने के लिए एक कमरे में बंद कर लिया। हालात इतने खराब हो गए कि पुलिस फोर्स को फायरिंग करते हुए अंदर घुसना पड़ा, तब जाकर एसआई और एसडीओपी को बाहर निकाला गया।

गांव में भारी पुलिस बल तैनात, धारा 144 लागू

घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव का माहौल है। स्थिति को काबू में करने के लिए प्रशासन ने गांव में धारा 144 लागू कर दी है और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। इस मामले में अब तक दो लोगों को हिरासत में लिया गया है और पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।

आखिर इस खूनी संघर्ष की जड़ क्या थी?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह विवाद जमीन से जुड़ा हुआ था। गड़रा गांव के रहने वाले अशोक कोल ने कुछ दिन पहले एक जमीन खरीदी थी, जो द्विवेदी परिवार के खेत के पास थी। कहा जाता है कि सनी द्विवेदी और उसके परिवार को यह बात पसंद नहीं आई और तभी से दोनों पक्षों के बीच तनाव था।

जब दो महीने पहले अशोक सड़क हादसे में मारा गया, तो उसके परिवार ने इसे हत्या करार दिया और सनी द्विवेदी को इसका दोषी ठहराया। हालांकि, पुलिस ने जांच में इसे महज एक हादसा बताया, लेकिन अशोक का परिवार इससे संतुष्ट नहीं था। इसी गुस्से में उन्होंने शनिवार को सनी को बंधक बना लिया और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। फिलहाल गांव में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है, लेकिन इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।

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