“दुनिया में सबसे पहले इस्लाम आया!” बरेली हंगामा: मौलाना रजवी और AIMIM अध्यक्ष शौकत अली ने धीरेंद्र शास्त्री पर बोला हमला, कहा – ‘नकली हिंदू’!

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उत्तर प्रदेश के बरेली में मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी और यूपी AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री को लेकर विवादित बयान दिए हैं। दोनों नेताओं ने शास्त्री के हिंदू राष्ट्र और सनातन धर्म संबंधी दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई है।

मौलाना रजवी ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान और गतिविधियों के माध्यम से पूरे सनातन धर्म को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे पहले इस्लाम आया और सभी धर्मों के लोग हजरत-ए-आदम की संतान हैं। रजवी ने यह भी कहा कि भारत में नकली मुसलमान हैं, जबकि असली मुसलमान विदेशों में हैं। उनका यह तर्क था कि असली और नकली की पहचान वही लोग कर सकते हैं जो स्वयं नकली होते हैं, और जो लोग असली हैं, वे चुप रहते हैं।

उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर आरोप लगाया कि वे इस बात को समझने में विफल हैं कि भारत के मुसलमान शरीयत और इस्लाम के उसूलों का पालन कितनी सख्ती से करते हैं। रजवी ने कहा कि भारत के मुसलमान अपने धर्म के अनुसार अनुशासित जीवन जीते हैं, वहीं यही अनुशासन शास्त्री को चुभता है।

वहीं, यूपी AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने भी धीरेंद्र शास्त्री पर तीखा हमला किया। मुरादाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में शौकत अली ने कहा कि शास्त्री सनातन धर्म के चारों वेदों को पढ़ने के बाद ही हिंदू राष्ट्र बनाने का दावा करें। उनका यह भी कहना था कि धीरेंद्र शास्त्री का अतीत मुसलमानों से जुड़ा हुआ था और वे अब खुद को हिंदू राष्ट्र के हिमायती बताते हैं।

शौकत अली ने आगे कहा कि धीरेंद्र शास्त्री “नकली हिंदू” हैं और वे वेदों का सही ज्ञान नहीं रखते। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि कोई मुस्लिम राष्ट्र बनाने की बात कहे, तो उसे रोकने का कानून नहीं है, जबकि हिंदू राष्ट्र की बात करने वालों पर कोई रोक नहीं लगती। उनके अनुसार, इस दोहरे मानक के कारण सामाजिक और धार्मिक बहस में असंतुलन पैदा हो रहा है।

धीरेंद्र शास्त्री के हिंदू राष्ट्र और आरएसएस के दृष्टिकोण पर टिप्पणी करते हुए शौकत अली ने कहा कि शास्त्री आरएसएस के समान दृष्टिकोण नहीं रखते। आरएसएस मानता है कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है, जबकि शास्त्री इसे अलग तरीके से प्रस्तुत करते हैं। शौकत अली ने सरकार पर भी निशाना साधा कि उसने शास्त्री को छोड़ दिया है, जबकि वे अब हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं।

इस विवाद ने फिर से उत्तर प्रदेश में धार्मिक और राजनीतिक बहस को गर्मा दिया है। दोनों नेताओं के बयान सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से चर्चा में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बयान सामाजिक और धार्मिक संवेदनाओं को भड़का सकते हैं और सरकार को इस मामले में सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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