जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
शिवपुरी जिले में बुधवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला, जब ऊर्जा मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर अचानक जिला अस्पताल के निरीक्षण पर पहुंचे। अस्पताल परिसर में पहुंचते ही उनकी नजर गंदगी और बदबू से भरे टॉयलेट पर पड़ी। मंत्री ने खुद अपने हाथों से टॉयलेट की सफाई कर डाली। यह देखकर वहां मौजूद स्टाफ और मरीजों के परिजन हैरान रह गए।
अस्पताल के हालात पर जताई नाराज़गी
मंत्री तोमर ने जिला अस्पताल का बारीकी से निरीक्षण किया। हाल ही में अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगे थे, जिनमें आदिवासी महिला की डिलीवरी में लापरवाही और मरीजों को समय पर इलाज न मिलने की शिकायतें शामिल थीं। मीडिया तक को अस्पताल परिसर में एंट्री से रोकने की घटना ने मामले को और संवेदनशील बना दिया था।
इन्हीं शिकायतों को लेकर मंत्री ने सख्त रुख अपनाया और सिविल सर्जन डॉ. बी.एल. यादव को व्यवस्थाओं में सुधार के लिए कड़े निर्देश दिए। उन्होंने यह भी माना कि पिछली बार की तुलना में कुछ सुधार जरूर हुए हैं, लेकिन अभी भी स्थितियां उम्मीद के मुताबिक नहीं हैं।
अस्पताल से बाहर निकलते हुए जब प्रद्युमन सिंह तोमर लुहारपुरा की पुलिया से गुजरे, तो वहां कचरे का ढेर देखकर उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने तुरंत गाड़ी रुकवाई और फावड़ा उठाकर खुद कचरा साफ करना शुरू कर दिया। मंत्री को इस तरह फावड़ा चलाते देख स्थानीय लोग भी मौके पर जुट गए और सफाई अभियान में सहयोग करने लगे।
स्वास्थ्य अधिकारी को पहनाई माला, दी चेतावनी
निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने मंत्री के सामने शहर की सफाई को लेकर भी शिकायतें रखीं। इसके बाद तोमर ने मौके पर मौजूद नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी योगेश शर्मा को माला पहनाकर चुटकी ली और कड़े शब्दों में चेतावनी दी। उन्होंने कहा – “आज तुम्हें माला पहनाई है, कल सम्मान के साथ विदा कर दूंगा। मेरी बात को गंभीरता से लेना।” इसके बाद मंत्री ने सफाई मशीन तत्काल मौके पर बुलाने के निर्देश दिए और आगे के कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए।
प्रद्युमन सिंह तोमर अपने सख्त और सीधे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर व्यवस्थाओं की हकीकत जानने के लिए बिना पूर्व सूचना निरीक्षण करते हैं। शिवपुरी में भी उनका यह अंदाज देखने को मिला। जहां एक तरफ उन्होंने अस्पताल प्रशासन को चेताया, वहीं दूसरी ओर खुद सफाई कर यह संदेश दिया कि जिम्मेदारी केवल अधिकारियों की नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों की भी है।