40 की उम्र के बाद बढ़ता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा: जानें लक्षण, जांच और बचाव!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

40 की उम्र पार करते ही पुरुषों के शरीर में कई जैविक बदलाव आने लगते हैं, जिनमें से एक खतरनाक और तेजी से उभरती समस्या है – प्रोस्टेट कैंसर। यह एक ऐसा कैंसर है जो धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन अगर समय रहते पहचाना न जाए, तो यह गंभीर और जानलेवा भी साबित हो सकता है। प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होती है, जो वीर्य में मौजूद तरल पदार्थ के उत्पादन में मदद करती है। यह ग्रंथि जितनी छोटी होती है, इसका खतरा उतना ही बड़ा है, खासकर तब जब इसकी अनदेखी की जाए।

गोवा के मणिपाल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. जैकब जॉर्ज बताते हैं कि प्रोस्टेट मूत्राशय के आउटलेट के चारों ओर स्थित होती है और इसका प्रमुख कार्य शुक्राणुओं को पोषण देने वाले तरल का निर्माण करना है। प्रोस्टेट कैंसर में यह ग्रंथि असामान्य रूप से बढ़ने लगती है, जिससे शरीर में कई परेशानियाँ शुरू होती हैं।

प्रोस्टेट कैंसर के प्रमुख लक्षण क्या हैं?

शुरुआती लक्षण बहुत साधारण हो सकते हैं, जिन्हें लोग अक्सर उम्र का असर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे—

  • बार-बार पेशाब आना, खासतौर पर रात के समय

  • पेशाब की पतली धार या पेशाब करने में कठिनाई

  • पेशाब करने के बाद भी अधूरापन महसूस होना

  • बार-बार मूत्र संक्रमण (UTI)

  • पेशाब में खून आना

  • हड्डियों, खासकर रीढ़ और कूल्हे में असामान्य दर्द (यदि कैंसर फैल चुका हो)

कब और कैसे कराएं जांच?

यदि आपके परिवार में पहले किसी को प्रोस्टेट कैंसर रहा है, तो 40 की उम्र के बाद नियमित जांच कराना बेहद जरूरी है। इसके लिए दो प्रमुख तरीके होते हैं:

  1. PSA टेस्ट (Prostate Specific Antigen) – यह एक ब्लड टेस्ट होता है जो प्रोस्टेट ग्रंथि से निकलने वाले विशेष प्रोटीन की मात्रा को मापता है।

  2. DRE (Digital Rectal Examination) – इसमें डॉक्टर उंगली के माध्यम से प्रोस्टेट में किसी गांठ या असामान्यता की जांच करते हैं।

अगर इन जांचों में संदेहजनक परिणाम आते हैं, तो MRI, अल्ट्रासाउंड या PET/CT स्कैन से आगे की पुष्टि की जाती है।

कैसे करें बचाव?

हालांकि प्रोस्टेट कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ जीवनशैली में बदलाव अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है:

  • संतुलित और हेल्दी डाइट:
    अपनी डाइट में फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर चीजें शामिल करें जैसे – टमाटर, तरबूज, चुकंदर, हरी सब्जियाँ और साबुत अनाज। टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है।

  • नियमित व्यायाम:
    रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज चलना, योग, साइकलिंग या तैराकी शरीर में हार्मोन बैलेंस और स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करते हैं।

  • धूम्रपान और शराब से दूरी:
    ये दोनों आदतें कैंसर की संभावना को कई गुना बढ़ा देती हैं। जीवनशैली सुधारने के लिए इनसे दूरी बनाना जरूरी है।

ध्यान देने योग्य बातें:

यदि आप 40 की उम्र पार कर चुके हैं और इनमें से कोई भी लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें। याद रखें, जल्दी पता चलना ही सबसे बड़ा इलाज होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी प्रकार का इलाज शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

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