जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। मानसिक रोग विभाग में भर्ती दो मरीजों सहित कुल तीन लोगों के पैरों को चूहों ने कुतर डाला। इस घटना ने न केवल परिजनों में दहशत फैलाई बल्कि पूरे अस्पताल प्रशासन को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। घटना के बाद जिम्मेदार सफाई कंपनी एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज पर कार्रवाई करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने आदेश जारी करते हुए माना कि पेस्ट कंट्रोल और नियमित साफ-सफाई को लेकर गंभीर लापरवाही बरती गई है। निरीक्षण के दौरान मनोरोग विभाग के आसपास गंदगी मिली और कचरा निस्तारण के लिए तय स्थानों पर व्यवस्था अधूरी पाई गई। इसके अलावा, चूहों को रोकने के लिए रखी जाने वाली गम प्लेटें केवल एक स्थान पर थीं और दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलीं। अधीक्षक ने सफाई और पेस्ट कंट्रोल का जिम्मा संभालने वाली कंपनी को कर्तव्य के प्रति उदासीन बताते हुए कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
घटना के बाद मरीजों को छुट्टी
घटना के उजागर होते ही गोटेगांव और सिहोरा से भर्ती दो मरीजों को तत्काल छुट्टी दे दी गई। जानकारी के मुताबिक 25 वर्षीय युवती और 50 वर्षीय महिला के साथ उसका बेटा भी चूहों के हमले का शिकार हुए। युवती को इंजेक्शन लगाने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, वहीं महिला और उसके बेटे के पैरों पर भी चोटें आईं। परिजनों का कहना है कि पहले भी शिकायतें की गई थीं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कोई ठोस इंतजाम नहीं किए।
कलेक्टर का औचक निरीक्षण
घटना की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार देर रात कलेक्टर राघवेंद्र सिंह स्वयं मेडिकल कॉलेज पहुंचे और वार्डों का निरीक्षण किया। उन्होंने इसे गंभीर चूक मानते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
मानव अधिकार आयोग की दखल
मामले ने तूल पकड़ते ही मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और कॉलेज डीन से विस्तृत प्रतिवेदन मांगा। आयोग ने इसे मरीजों के मानव अधिकारों के हनन से जुड़ा मामला बताया और यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि इस घटना पर अब तक क्या कदम उठाए गए। आयोग ने निर्देश दिया कि लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
हाल ही में इंदौर के एक बड़े सरकारी अस्पताल में चूहों द्वारा नवजात शिशुओं को नुकसान पहुंचाने की घटना सामने आई थी। उसके बाद जबलपुर में घटित यह हादसा राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गहरे सवाल खड़े करता है। मरीजों और उनके परिजनों की चिंता बढ़ गई है कि आखिर सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुरक्षा तक क्यों सुनिश्चित नहीं की जा रही।