MP में चौंकाने वाला मामला: इंदौर में फिर जन्मी दुर्लभ नवजात, एक शरीर में दो सिर, दो दिल और चार हाथ; डॉक्टर भी हैरान, PICU में चल रहा इलाज!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

इंदौर में एक बार फिर चिकित्सा जगत में बेहद दुर्लभ और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। खरगोन जिले के मोथापुरा गांव की सोनाली (पति: आशाराम) ने 13 अगस्त को महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल (MTH) में एक नवजात बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के शरीर में असामान्य विशेषताएं हैं—उसके दो सिर, दो दिल, चार हाथ और दो पैर हैं, जबकि सीना और पेट एक ही हैं

बच्ची फिलहाल एमवाय अस्पताल की PICU (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। डॉक्टर्स की टीम उसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। बीते 24 घंटों के ऑब्जर्वेशन में यह देखा गया है कि जब एक बच्ची रोती है तो दूसरी बच्ची के अंग भी मूवमेंट करने लगते हैं और उसकी नींद खुल जाती है।

मेडिकल टर्मिनोलॉजी में ऐसे जन्म को कंजॉइंड ट्विन्स (conjoined twins) कहा जाता है। ये मामले अत्यंत दुर्लभ होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसी संरचना में सर्जरी के जरिए दोनों धड़ अलग करना लगभग असंभव है। इस बच्ची की हालत स्थिर है, लेकिन चूंकि अधिकांश महत्वपूर्ण अंग—जैसे फेफड़े और पेट—साझा हैं, इसलिए इसके दोनों धड़ को अलग करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।

पिछले माह भी हुआ था ऐसा दुर्लभ मामला

बीते माह 22 जुलाई को इंदौर के MTH में इसी तरह की एक बच्ची जन्मी थी, जिसके दो सिर और एक शरीर था। उसे 16 दिन तक नवजात विशेष देखभाल यूनिट (SNCU) में रखा गया। इसके बाद परिवार ने उसे घर ले जाने का फैसला किया, लेकिन 6 अगस्त को बच्ची का निधन हो गया। इस मामले में भी मेडिकल क्षेत्र ने इसे पैरापैगस डायसेफेलस (Parapagus Dicephalus) जैसी दुर्लभ संरचना वाला केस माना।

जीवित रहने की संभावना बेहद कम

पीडियाट्रिशियन डॉ. प्रीति मालपानी के अनुसार, इस बच्ची के शरीर में अधिकांश अंग एक ही हैं, लेकिन दिल दो हैं, जिनमें से एक पहले ही कमजोर हो चुका था। ऐसे मामलों में जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है। बच्ची फिलहाल वेंटिलेटर सपोर्ट और मां के दूध की मदद से जीवित है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि बच्ची जीवित भी रहती, तो उसका जीवन और परिवार के लिए स्थिति हमेशा चुनौतीपूर्ण रहती।

सर्जरी असंभव और जोखिमपूर्ण

डॉक्टरों ने पहले ही इस बच्ची के दोनों सिर को अलग करने की सर्जरी के लिए संभावना से इनकार कर दिया था। दोनों सिर गर्दन से जुड़े हुए हैं, इसलिए अलग करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।

कारण: न आनुवंशिक, न मां के स्वास्थ्य से जुड़ा

सुपरिटेंडेंट डॉ. अनुपमा दवे के मुताबिक, इस तरह की स्थिति आनुवंशिक नहीं होती और आम तौर पर मां के स्वास्थ्य से इसका कोई संबंध नहीं होता। ऐसे मामले 50 हजार से 2 लाख शिशुओं में एक पाए जाते हैं। आम तौर पर ऐसे बच्चों का जन्म के समय या जन्म के 48 घंटे के भीतर ही निधन हो जाता है।

डॉक्टरों के लिए केस स्टडी

स बच्ची का जन्म और जीवित रहना डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण मेडिकल केस स्टडी बन गया है। इस मामले से चिकित्सा जगत में कंजॉइंड ट्विन्स की जटिलताओं और नवजात देखभाल की चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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