जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
दमोह का मिशन अस्पताल इन दिनों देशभर की सुर्खियों में है। एक फर्जी डॉक्टर की वजह से सात मरीजों की मौत हो गई, जिससे न केवल प्रशासन बल्कि आमजन भी स्तब्ध है। सोमवार को इस मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए पुलिस ने फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी खुद को लंदन के नामी कार्डियोलॉजिस्ट ‘डॉ. एन जॉन केम’ बताकर पिछले कई महीनों से दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी कर रहा था।
दरअसल, मिशन अस्पताल में खुद को लंदन रजिस्टर्ड कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम ने जनवरी से लेकर फरवरी 2025 के बीच 15 हार्ट सर्जरी कीं। लेकिन इन सर्जरी में से सात मरीजों की जान चली गई। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस शख्स का मेडिकल काउंसिल में कोई रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। यानी एक फर्जी डॉक्टर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करता रहा और अस्पताल प्रबंधन आंखें मूंदे बैठा रहा।
शिकायतों के बाद जब जांच शुरू हुई तो डॉक्टर नरेंद्र केम फरार हो गया। लेकिन दमोह पुलिस की टीम ने उसे आखिरकार प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है। दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने पुष्टि की है कि डॉक्टर फर्जी डिग्री के सहारे काम कर रहा था। उसके खिलाफ सीएमएचओ की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है।
इससे भी बड़ा खुलासा यह है कि मिशन अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है। इसके संचालक डॉ. अजय लाल पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। उनका बाल आश्रम बंद किया जा चुका है और वह इस वक्त फरार चल रहे हैं। उनके बेटे और करीबी कर्मचारियों पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाने के केस दर्ज हैं। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम को एजेंसी के माध्यम से नियुक्त किया गया था, इसलिए उसकी डिग्री की जांच नहीं की। 8 लाख रुपये प्रतिमाह की सैलरी पर फर्जी डॉक्टर को अस्पताल में बैठा दिया गया और लोगों की जान खतरे में डाल दी गई।
फिलहाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम इस पूरे मामले की जांच कर रही है। मृतकों के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की असली वजहें सामने आने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और कहा है कि प्रदेश में किसी भी फर्जी डॉक्टर को बख्शा नहीं जाएगा।
दरअसल, मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मोर्चा संभाला और सख्त तेवर दिखाते हुए घोषणा की —
“प्रदेश में फर्जी डॉक्टरों की कोई जगह नहीं! जो भी ऐसे अपराधी पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मैंने हेल्थ डिपार्टमेंट को निर्देश दे दिए हैं – तुरंत एक्शन लो!”
अब सरकार ने राज्यव्यापी अभियान की घोषणा की है। पूरे प्रदेश में छानबीन शुरू हो गई है – कौन है असली डॉक्टर, कौन है झोलाछाप?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “दमोह की घटना बहुत ही दुखद है और राज्य सरकार इसे बहुत गंभीरता से ले रही है। मैंने स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेशभर में ऐसे फर्जी डॉक्टरों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।”
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए दोहराया कि उनकी सरकार किसी भी गैर-कानूनी चिकित्सा कार्य को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने चेताया कि यदि प्रदेश के किसी भी कोने में फर्जी डॉक्टर्स पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी।