जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बेंगलुरु के जयनगर इलाके में रैपिडो बाइक राइडर और एक महिला के बीच हुई मारपीट की घटना ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। जिस वीडियो में पहले राइडर को महिला को थप्पड़ मारते और महिला को गिरते हुए देखा गया था, उस घटना से जुड़े एक और CCTV फुटेज ने तस्वीर को पूरी तरह से पलट कर रख दिया है। नए वीडियो में महिला पहले राइडर पर हमला करती दिखाई दे रही है, जिससे अब यह मामला और अधिक जटिल और विवादित होता जा रहा है।
घटना शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे की है, जब महिला ने रैपिडो से यात्रा की और रास्ते में गुस्से में बहस शुरू हो गई। राइडर का कहना है कि उसने रास्ता छोटा करने के लिए शॉर्टकट लिया, जिससे महिला नाराज हो गई। बहस इतनी बढ़ गई कि महिला ने कथित रूप से राइडर पर टिफिन बॉक्स से दो बार हमला कर दिया और बाद में उसे थप्पड़ भी मारा। CCTV फुटेज में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि महिला ने पहले हमला किया, जबकि इससे पहले वायरल वीडियो में सिर्फ राइडर द्वारा मारा गया थप्पड़ ही दिखाया गया था।
राइडर का बयान भी सामने आया है, जिसमें उसने कहा कि उसने काफी देर तक संयम रखा, लेकिन जब महिला ने बार-बार हमला किया तो उसने गुस्से में जवाबी थप्पड़ मारा। राइडर का कहना है कि भाषा की समस्या की वजह से वह महिला को अपनी बात सही से समझा नहीं पाया, जिससे टकराव बढ़ गया।
इस मामले में पहले पुलिस ने NCR (नॉन-कॉग्नीजेबल रिपोर्ट) दर्ज की थी, लेकिन अब CCTV फुटेज सामने आने के बाद पुलिस FIR दर्ज करने पर विचार कर रही है। यह घटना सोशल मीडिया पर भी तीव्र चर्चा का विषय बनी हुई है और जनता के बीच प्रतिक्रिया दो हिस्सों में बंट गई है – एक ओर महिला के समर्थन में आवाज़ उठ रही है तो दूसरी ओर CCTV फुटेज के आधार पर राइडर के पक्ष में भी सहानुभूति जताई जा रही है।
इस पूरी घटना का एक बड़ा असर कर्नाटक सरकार द्वारा बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंध पर भी पड़ा है। दरअसल, 13 जून को हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार के उस आदेश को वैध ठहराया गया जिसमें रैपिडो, ओला मोटो और उबर जैसी सेवाओं को गैरकानूनी करार दिया गया था। इसी के चलते सरकार ने 2 अप्रैल को बाइक टैक्सी सेवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
अब इस घटना के बाद नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि दिल्ली, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों की तरह नियम बनाकर इन सेवाओं को नियमित किया जाना चाहिए। राइडर समुदाय ने यह भी कहा कि इस प्रतिबंध से लाखों युवाओं का रोजगार छिन जाएगा और यात्री भी आने-जाने में परेशान होंगे।
बाइक टैक्सी चालकों ने मांग की है कि सरकार लाइसेंसिंग, बीमा, ट्रेनिंग और सुरक्षा के स्पष्ट नियम बनाकर एक समावेशी नीति बनाए, जिससे रोजगार और सुरक्षा दोनों संतुलित रह सकें। इस मांग का आधार भी हाईकोर्ट का निर्देश है जिसमें कहा गया था कि जब तक मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्पष्ट नियम तय नहीं होते, तब तक निजी नंबर प्लेट वाली दोपहिया गाड़ियों का व्यावसायिक इस्तेमाल गैरकानूनी माना जाएगा।
अब देखना यह है कि 24 जून को होने वाली अगली सुनवाई में हाईकोर्ट और सरकार क्या फैसला लेते हैं, और क्या इस पूरे घटनाक्रम से प्रभावित राइडर को न्याय मिलेगा या नहीं। साथ ही, क्या सरकार इस बहुचर्चित घटना को ध्यान में रखते हुए बाइक टैक्सी सेवा को लेकर कोई नई और संतुलित नीति बना पाएगी?