दिग्विजय सिंह के भाई को अनुशासनहीनता पड़ी भारी, लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से बाहर; पार्टी ने छह साल के लिए किया निष्कासित!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल तब आया जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। कांग्रेस की अनुशासन समिति के सदस्य तारिक अनवर ने यह कठोर कार्रवाई की घोषणा करते हुए कहा कि लक्ष्मण सिंह की टिप्पणियां लगातार पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा रही थीं और नेतृत्व के खिलाफ उनका रवैया अस्वीकार्य था।

लक्ष्मण सिंह हाल ही में राहुल गांधी और उनके जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ विवादास्पद बयान देकर सुर्खियों में आ गए थे। उन्होंने न केवल राहुल को सोच-समझकर बयान देने की नसीहत दी, बल्कि वाड्रा की विवादित टिप्पणी पर भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था – “राहुल और रॉबर्ट वाड्रा का बचपना अब बर्दाश्त से बाहर है। पार्टी को अगर निकालना है, तो आज ही निकाल दे।” इस बयान के बाद पार्टी ने 9 मई को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया।

इससे पहले, लक्ष्मण सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर आतंकवादियों से मिले होने का सनसनीखेज आरोप भी लगाया था। इतना ही नहीं, गुना जिले के राघौगढ़ में एक आतंकी हमले के बाद, उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था – “जहां टूरिस्ट इक्ट्ठे हो रहे थे, वहां एक भी पुलिसकर्मी क्यों नहीं था? क्या आतंकवादी सरकार से मिले हुए हैं?” इस तरह के बयान पार्टी लाइन से हटकर और काफी गंभीर माने गए।

लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के लिए कोई नया चेहरा नहीं हैं। वे मध्यप्रदेश के चाचौड़ा से विधायक रह चुके हैं और सांसद भी। लेकिन उन्हें कभी भी उस स्तर की राजनीतिक प्राथमिकता नहीं दी गई, जो उनके बड़े भाई दिग्विजय सिंह और उनके परिवार को मिलती रही है। 2018 में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तब उन्हें उम्मीद थी कि उनकी वरिष्ठता के आधार पर मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन उनकी जगह दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को मंत्री पद सौंपा गया। इसके बाद से ही लक्ष्मण सिंह पार्टी से अंदरूनी रूप से नाराज चल रहे थे, और उनकी टिप्पणियां उसी गहरी नाराजगी को दर्शा रही थीं।

कांग्रेस की अनुशासन समिति का यह फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पार्टी अब किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। चाहे वह वरिष्ठ नेता हो या किसी बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखता हो, सार्वजनिक मंचों पर पार्टी विरोधी बयानबाज़ी अब सीधा निष्कासन ला सकती है।

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