“स्वाद, संस्कृति और सेहत का मेल है पान: लेकिन ध्यान रखें बासी पान सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है!”

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

‘खइके पान बनारस वाला…’ जैसे ही यह गीत ज़ेहन में गूंजता है, हरे-हरे चिकने पत्तों की छवि आंखों के सामने आ जाती है। पान भारत की संस्कृति, परंपरा और स्वाद का एक अहम हिस्सा रहा है। चाहे किसी त्योहार की बात हो या शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों की, पान हमेशा से भारतीय आतिथ्य का प्रतीक रहा है। धार्मिक अनुष्ठानों में भी पान का उपयोग शुभता से जुड़ा हुआ है — गणपति पूजन से लेकर देवी कात्यायनी की आराधना तक पान का विशेष महत्व है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वाद और परंपरा के इस प्रतीक में सेहत के लिए कई गुण छिपे हैं, वहीं कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं? आइए जानते हैं कि आयुर्वेद के दृष्टिकोण से पान क्या-क्या फायदे पहुंचा सकता है और किन स्थितियों में इसका सेवन हानिकारक बन सकता है।

पान: एक पारंपरिक माउथ फ्रेशनर नहीं, एक आयुर्वेदिक औषधि भी है

पंजाब स्थित ‘बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल’ के विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी बताते हैं कि पान को केवल शौक की चीज़ समझना भूल है। आयुर्वेद में इसका विशिष्ट स्थान है। इसके पत्तों में कैल्शियम, विटामिन C, राइबोफ्लेविन, नियासिन, कैरोटीन और क्लोरोफिल जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी होते हैं।

पान के औषधीय गुणों में एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल तत्व शामिल होते हैं। यह घावों को भरने, पाचन तंत्र सुधारने और सांस की बीमारियों में राहत देने के लिए जाना जाता है। खासतौर पर जब सुबह के समय खाली पेट इसका सेवन किया जाए, तो यह अपच, कब्ज, डकार और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर कर सकता है।

सर्दी-खांसी और संक्रमण से बचाव में असरदार

पान का काढ़ा या उसका पत्ता चबाने से गले की खराश, खांसी और सर्दी में काफी राहत मिलती है। इसके काढ़े का सेवन शरीर को गर्मी प्रदान करता है और संक्रमण से बचाने में मदद करता है। यही नहीं, पान के पत्तों का सेवन मुंह की दुर्गंध, मसूड़ों की सूजन और अन्य ओरल हेल्थ समस्याओं के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।

कैसे खाएं पान ताकि हो सेहत को फायदा?

यदि आप पान का सेवन स्वास्थ्य के नजरिए से करना चाहते हैं, तो उसमें चूना और कत्था से बचें। इसकी जगह गुलकंद, सौंफ, ड्राई फ्रूट्स या फ्लेवर सीड्स का उपयोग करें। इससे ना सिर्फ स्वाद बेहतर होता है, बल्कि शरीर को फाइबर और आयरन जैसे पोषक तत्व भी मिलते हैं।

हालांकि ध्यान रखें कि एक दिन में दो या तीन पान से ज्यादा का सेवन न करें क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन से यह हानिकारक भी बन सकता है।

बासी पान: स्वाद नहीं, सिर्फ नुकसान

जहां एक ओर ताज़ा पान औषधीय गुणों से भरपूर होता है, वहीं बासी पान सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो बासी पान में बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों का विकास हो सकता है, जो पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बासी पान में मिला चूना और कत्था भी रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण नुकसानदायक हो सकता है, जिससे पेट की समस्याएं, एलर्जी, या मुंह के छाले तक हो सकते हैं।

इसलिए अगर आप सेहत को लेकर सजग हैं तो रातभर रखा पान कभी न खाएं, और यदि पान खाना है तो उसे ताज़ा बनवाएं और उसके अवयवों को समझदारी से चुनें।

पान सिर्फ स्वाद या मेहमाननवाजी की चीज़ नहीं है, यह भारतीय संस्कृति और चिकित्सा प्रणाली का एक हिस्सा है। अगर इसका सेवन सही समय, सही मात्रा और सही सामग्री के साथ किया जाए, तो यह कई समस्याओं से राहत दिला सकता है। लेकिन बिना जानकारी के, या सिर्फ स्वाद के लिए किया गया सेवन नुकसान भी दे सकता है। तो अगली बार जब आप पान खाएं, तो सिर्फ उसका स्वाद नहीं, उसमें छिपी सेहत की शक्ति को भी पहचानिए। और सबसे जरूरी, बासी पान से दूरी बनाइए, क्योंकि सेहत से बड़ा कोई स्वाद नहीं होता।

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