जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इंदौर के नेहरू पार्क स्थित सिंदूर वाटिका में एक विशेष पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री तुलसीराम सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी और विधायक रमेश मेंदोला समेत कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की गई, जिसमें इस वर्ष इंदौर जिले में 51 लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया गया है। नेहरू पार्क की सिंदूर वाटिका और आम वाटिका में 1100 से अधिक पौधों का रोपण किया गया।
कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने उद्बोधन में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और पेड़ों की देखभाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाना ही काफी नहीं, उनका संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। इस दिशा में नगर निगम ने जिम्मेदारी उठाई है और विधायक निधि से पौधों की सुरक्षा के लिए कवच लगाए जाएंगे। उन्होंने तालाबों की बाउंड्री पर वृक्षारोपण का सुझाव भी दिया, जिससे मिट्टी का क्षरण रोका जा सके।
हालाँकि, इस कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय ने एक बार फिर अपने विवादित बयानों से सुर्खियाँ बटोरीं। उन्होंने भाषण की लंबाई को लेकर टिप्पणी करते हुए पश्चिमी देशों की एक कहावत का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि जैसे कम कपड़े पहनने वाली महिला को सुंदर समझा जाता है, वैसे ही छोटा भाषण देने वाला नेता अच्छा होता है। विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि वह इस सोच से सहमत नहीं हैं, क्योंकि हमारे देश में महिलाएं देवी का स्वरूप मानी जाती हैं और उनका सुसंस्कृत वस्त्र पहनना ही मर्यादा है।
विजयवर्गीय के इस बयान को लेकर एक बार फिर पुराने विवादों की याद ताज़ा हो गई। 12 अप्रैल 2023 को भी हनुमान जन्मोत्सव के एक कार्यक्रम में उन्होंने लड़कियों के पहनावे को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि “इतने गंदे कपड़े पहनती हैं कि बिल्कुल शूर्पणखा लगती हैं।” इस बयान को लेकर उस समय भी भारी विरोध हुआ था और उन पर महिलाओं के प्रति असम्मानजनक रवैया अपनाने के आरोप लगे थे।
इस बार के बयान में भी महिलाओं की तुलना उनके पहनावे से जोड़कर की गई है, जिसे लेकर एक नया राजनीतिक और सामाजिक विवाद खड़ा हो सकता है। खासतौर पर ऐसे दिन पर, जब पर्यावरण और मातृत्व के प्रतीकात्मक महत्व को जोड़कर कार्यक्रम आयोजित किया गया था, महिलाओं पर ऐसी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर आलोचना झेलनी पड़ सकती है।
कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि वे शहर के वरिष्ठ नेताओं से सीखते हैं—चाहे वह समय का पाबंद रहना हो या प्रशासनिक तरीके अपनाना। उन्होंने भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, विधायक महेंद्र हार्डिया और इंदौर के कमिश्नर से सीखने की बात की, लेकिन एक बार फिर अपने चुटीले और व्यंग्यात्मक लहज़े में कह दिया कि “कमिश्नर साहब जैसा बन पाना अभी मुझसे नहीं हो पाया।”
कार्यक्रम में उद्यान विभाग के 5 कर्मचारियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। यह आयोजन इंदौर के पर्यावरणीय दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण रहा, लेकिन मंत्री के भाषण में आए विवादास्पद संदर्भों ने इसकी गंभीरता को हल्का कर दिया।