जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सीधी जिले के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने न केवल वन्यजीव प्रेमियों को चौंका दिया बल्कि पूरे देश का ध्यान एक ममतामयी शिकारी बाघिन की ओर खींच लिया। ये कहानी है T28 यानी ‘मौसी बाघिन’ की, जिसने इंसानी रिश्तों को भी मात देते हुए अपनी मृत बहन के बच्चों को न सिर्फ पाला बल्कि उन्हें शिकार करना भी सिखाया। अब करीब चार साल बाद 19 मई 2025 को मौसी बाघिन ने अपने पांच शावकों को खुद से अलग कर दिया। दुबरी रेंज के अलग-अलग इलाकों में इन शावकों को बिना T28 के देखा गया, जिससे यह माना जा रहा है कि T28 ने अब उन्हें अपनी राह खुद चुनने के लिए छोड़ दिया है।
हालांकि बाघ प्रजाति में ये एक सामान्य प्रक्रिया होती है कि मां एक उम्र के बाद अपने शावकों को अलग कर देती है, लेकिन T28 का मामला बिल्कुल अलग और भावनात्मक है। DFO राजेश कन्ना टी और रेंजर असीम भूरिया के अनुसार, जिन पांच शावकों को अब छोड़ा गया है, उनमें से सिर्फ दो ही मौसी बाघिन के खुद के थे। बाकी तीन उसकी सगी बहन ‘कमली’ के हैं, जो मार्च 2021 में ट्रेन से टकराकर मारी गई थी।
कमली की मौत उस वक्त हुई जब उसके चार नर शावक महज 9 महीने के थे। रेस्क्यू टीम ने घायल कमली को हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन अगले दिन उसकी मौत हो गई। शावक जंगल में अकेले रह गए। वन विभाग ने तत्काल गश्त बढ़ाई, भोजन की व्यवस्था की, लेकिन तभी जंगल के ही एक अन्य बाघ टी26 ने एक शावक को मार डाला — जो हैरानी की बात यह थी कि वो भी कमली का ही बेटा था। बाकी तीन शावक बेसहारा रह गए।
ऐसे में जंगल में एक चमत्कार जैसा दृश्य सामने आया। कमली की सगी बहन T28 बाघिन इन तीनों को अपने बच्चों के साथ रखने लगी। कुछ समय बाद T28 के खुद के एक शावक की भी मौत हो गई, और फिर उसने कमली के तीन और अपने दो — कुल पांच शावकों को एक मां की तरह पाला।
जंगल के नियमों को तोड़ते हुए T28 ने दिखाया कि शिकारी भी ममता से भरे हो सकते हैं। जहां बाघ अपनी टैरेटरी में किसी को भी नहीं बर्दाश्त करते, वहीं T28 ने दूसरे बच्चों को अपनाया, उनके लिए शिकार किया, उन्हें सुरक्षा दी और जंगल के कठोर जीवन में जीने का हुनर सिखाया। अप्रैल 2025 में उसका एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वह एक सांभर का शिकार कर उसे जंगल में अपने बच्चों के पास ले जाती है — सभी शावक मिलकर शिकार खाते हैं।
करीब 7.5 साल की T28 मौसी बाघिन अब तक 8 शावकों की परवरिश कर चुकी है, जिनमें से तीन उसकी बहन के थे। यह अपने आप में देश के किसी भी टाइगर रिजर्व में दर्ज की गई सबसे अनोखी और भावनात्मक घटना है। T28 की ममता, धैर्य और जंगल में निभाई गई ज़िम्मेदारी ने उसे सिर्फ एक शिकारी नहीं बल्कि एक सुपर मॉम बना दिया।
यह बाघिन पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बनी रही है। DFO राजेश कन्ना कहते हैं कि “लोग सिर्फ उसे ही देखने आते हैं, क्योंकि उसके साथ शावकों का व्यवहार जंगल की दुनिया की एक अलग ही तस्वीर पेश करता है।” टाइगर रिजर्व की रेंजर कविता वर्मा कहती हैं, “T28 ने बाघ प्रजाति के बारे में बनी पुरानी धारणा को तोड़ दिया है। उसने साबित किया है कि प्यार और देखभाल की कोई जाति, सीमा या खून का रिश्ता जरूरी नहीं होता।”
अब जबकि 19 मई को शावक अलग-अलग देखे गए हैं और T28 उनके साथ नहीं दिखी, तो यह माना जा रहा है कि उसने आखिरकार उन्हें स्वतंत्र कर दिया है — ठीक वैसे ही जैसे एक मां अपने बच्चों को जीवन के अगले पड़ाव पर अकेले आगे बढ़ने के लिए छोड़ देती है।
संजय दुबरी टाइगर रिजर्व, जो पहले से ही सफेद बाघ ‘मोहन’ की जन्मस्थली के तौर पर प्रसिद्ध है, अब T28 मौसी बाघिन की वजह से एक नई पहचान पा चुका है।