पशु-पक्षियों से प्रेरित योगासनों में छिपा है गहरा जीवनदर्शन, जानिए इनके वैज्ञानिक लाभ और मानसिक असर!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

योग केवल शरीर को लचीला बनाने या तनाव दूर करने की विधि मात्र नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन को स्थापित करती है। प्राचीन भारतीय परंपरा में योग का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और यही कारण है कि आज विश्वभर में ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ बड़े स्तर पर मनाया जाता है।

खास बात यह है कि योग के अंतर्गत आने वाले कई प्रमुख आसनों के नाम पशु-पक्षियों से प्रेरित हैं — जैसे भुजंगासन (कोबरा मुद्रा), मयूरासन (मोर मुद्रा), उष्ट्रासन (ऊंट मुद्रा), कपोतासन (कबूतर मुद्रा), बकासन (बगुला मुद्रा), बद्ध कोणासन (तितली मुद्रा) और मकरासन (मगरमच्छ मुद्रा)। ये नाम केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता और मनोवैज्ञानिक व शारीरिक लाभ छिपा हुआ है।

प्रकृति से सीखने की प्रेरणा:
योग विशेषज्ञों का मानना है कि इन आसनों के नाम पशु-पक्षियों की शारीरिक मुद्रा, लचीलापन, संतुलन और स्वाभाविक सहजता से जुड़े होते हैं। कोबरा की तरह फन उठाने वाला भुजंगासन जहाँ रीढ़ को सशक्त बनाता है, वहीं मोर के संतुलन से प्रेरित मयूरासन मानसिक संतुलन और फोकस को बढ़ावा देता है। ऊंट की भांति शरीर को पीछे की ओर झुकाने वाला उष्ट्रासन न केवल रीढ़ को लचीला बनाता है बल्कि छाती को खोलकर हृदय चक्र को भी सक्रिय करता है।

भुजंगासन (Cobra Pose):
इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है और पीठ दर्द में राहत मिलती है। यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है, पाचन क्रिया को सुधारता है और शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है। भुजंगासन तनाव और थकान को दूर कर मानसिक ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करता है।

उष्ट्रासन (Camel Pose):
यह मुद्रा रीढ़ को पीछे की ओर झुकाती है जिससे उसकी लचीलापन बढ़ती है। पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ने से पाचन में सुधार होता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। छाती के क्षेत्र का विस्तार फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन लेने की क्षमता देता है और तनाव, चिंता जैसी मानसिक स्थितियों से राहत मिलती है।

कपोतासन (Pigeon Pose):
यह आसन कूल्हों, जांघों और पीठ के निचले हिस्से को खोलता है, जिससे लचीलापन बढ़ता है। यह मुद्रा भावनात्मक तनाव को कम करने में भी सहायक मानी जाती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं या मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं।

मयूरासन (Peacock Pose):
इसमें शरीर को हथेलियों पर संतुलित करना होता है, जिससे कोर मसल्स, बाजुओं और कलाइयों की ताकत बढ़ती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और आंतों को डिटॉक्स करने में मदद करता है।

बकासन (Crane Pose):
यह संतुलन और एकाग्रता को बढ़ाता है। खासकर हाथों, कलाइयों और कंधों की ताकत बढ़ाने में मदद करता है। मानसिक रूप से यह आत्मविश्वास और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को प्रोत्साहित करता है।

बद्ध कोणासन (Butterfly Pose):
तितली मुद्रा कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को खोलती है। यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है, खासकर मासिक धर्म के दौरान। इसके अलावा, इस आसन को नियमित करने से चेहरे पर चमक आती है और भावनात्मक तनाव भी कम होता है।

मकरासन (Crocodile Pose):
यह एक विश्राम मुद्रा है जिसमें शरीर को पूरी तरह स्थिर रखा जाता है। यह तनाव को कम करता है, रीढ़ को आराम देता है और उच्च रक्तचाप में भी उपयोगी सिद्ध होता है।

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