उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश के अलग-अलग रास्ते हैं जहां पर ठेके पर काम करने वाले सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों को तैनात किया जाता है। यह कर्मचारी मनमर्जी से श्रद्धालुओं को प्रवेश देते हैं और मंदिर के अफसरों के नाम की आड़ लेकर लोगों को भ्रमित कर मनमानी करते नजर आते हैं।
मंदिर में प्रवेश के लिए बड़ा गणेश के सामने से कोटितीर्थ कुंड की ओर जाने वाला मार्ग भी है। अधिकांश समय इस मार्ग से पंडे पुजारियों को प्रवेश दिया जाता है। यहां मौजूद गार्ड उक्त लोगों के अलावा अन्य लोगों को भी अपनी मर्जी से मंदिर में प्रवेश कराते हैं। यदि कोई अधिकृत व्यक्ति इस गेट से मंदिर में प्रवेश करना चाहे तो उसे मंदिर के सहायक प्रशासक से लेकर किसी भी अफसर के आदेश का हवाला देकर लौटा दिया जाता है। यहां ड्यूटी करने वाले क्रिस्टल कंपनी के गार्ड्स की मनमानी का आलम यह है कि इनके द्वारा अफसरों के नाम का झूठा प्रयोग कर नियमों को तांक पर रख दिया जाता है।
वीआईपी, प्रोटोकॉल, सशुल्क व नियमित दर्शनार्थियों को हाथी द्वार से मंदिर में प्रवेश दिया जाता है। यहां पर प्रायवेट सुरक्षा एजेंसी क्रिस्टल कंपनी के दो कर्मचारियों को तैनात किया गया है। यहां पदस्थ कर्मचारी वीआईपी को तो नहीं रोकते लेकिन नियमित व सशुल्क दर्शनार्थियों को प्रतिदिन नियम बताकर रोका जाता है। इनकी पूजन सामग्री, फूल, प्रसाद भी चैक करते हैं और पॉलिथीन पर प्रतिबंध की बात कहकर पोलिथीन छीनकर पूजन सामग्री व फूल प्रसाद हाथ में पकड़ा दिये जाते हैं। खास बात यह कि यह प्रक्रिया कुछ लोगों के साथ ही होती है। अन्य लोग इशारा करते हुए इसी गेट से उन्हीं कर्मचारियों के साथ नियम तोड़कर प्रवेश करते हैं लेकिन उनके साथ कोई रोकटोक या सामग्री चैक नहीं की जाती। यह लोग ना तो सशुल्क और ना ही वीआईपी दर्शनार्थी होते हैं।
पिछले दिनों महाकालेश्वर मंदिर की रैलिंग में दर्शन के लिए पहुंचे महाराष्ट्र के श्रद्धालु के साथ क्रिस्टल कंपनी के गार्ड्स ने मारपीट की थी, इसी तरह महाकाल लोक में कैमरा लेकर घूम रहे युवकों के इसी कंपनी के गार्ड्स ने कैमरा तोड़ दिया था जिसकी शिकायत महाकाल थाने तक पहुंची और चार दिन पहले छत्तीसगढ़ की महिला श्रद्धालु से शयन आरती दर्शन में शामिल होने के नाम पर एक हजार रुपए की ठगी हुई। जिसमें क्रिस्टल कंपनी के दो गार्ड्स के खिलाफ थाने में केस दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कंपनी के कर्मचारियों की इस प्रकार की कार्यप्रणाली पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।