आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट की फटकार के घेरे में आए मंत्री विजय शाह, कोर्ट ने सार्वजनिक माफी को बताया ‘निष्ठाहीन’!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर टिप्पणी कर विवादों में घिरे मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शाह की सार्वजनिक माफी को पूरी तरह खारिज करते हुए उसे “निष्ठाहीन और जनभावनाओं के प्रति असंवेदनशील” बताया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि केवल माफी मांगने का दिखावा काफी नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और ईमानदारी आवश्यक है।

माफी नहीं, मंशा देखी जा रही है: कोर्ट

शाह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने दलील दी कि पिछली सुनवाई के निर्देशों का पालन करते हुए मंत्री ने ऑनलाइन माफी मांगी है और SIT जांच में पूरा सहयोग दिया है। लेकिन कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए सवाल किया कि मंत्री द्वारा जारी माफी वीडियो में उन्होंने स्पष्ट रूप से यह नहीं स्वीकार किया कि उन्होंने जनभावनाओं को ठेस पहुंचाई।

जस्टिस सूर्यकांत ने तीखे शब्दों में कहा – “आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। यह माफी नहीं, मात्र एक औपचारिकता है। क्या उन्होंने यह कहा कि उन्होंने जो कहा, वह गलत था? नहीं। इसलिए हम इसे ईमानदार माफी नहीं मानते।”

ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्तिजनक टिप्पणी बनी विवाद की जड़

गौरतलब है कि 11 मई को इंदौर जिले के महू क्षेत्र में आयोजित हलमा कार्यक्रम में विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रेस ब्रीफिंग में शामिल रहीं सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक और जातिसूचक बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने पीएम मोदी का हवाला देते हुए कहा था कि “उन्होंने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने पाकिस्तान भेजा”, और यह भी कहा कि “हमारी बहनों को विधवा करने वालों को उन्हीं की जाति की बहनें नंगा करके छोड़ेंगी।”

यह बयान सामने आने के बाद व्यापक आक्रोश फैला, खासकर सेना, महिला और अल्पसंख्यक वर्गों में। हाईकोर्ट ने तत्काल गंभीरता दिखाई और मंत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए SIT जांच के आदेश दिए थे।

SIT को रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि एसआईटी 13 अगस्त तक जांच पूरी करके विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ आरोपी मंत्री ही नहीं, बल्कि जिन लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, उनके बयान भी दर्ज किए जाएं। “बयान केवल आरोपी का नहीं, पीड़ितों का भी दर्ज होना चाहिए,” कोर्ट ने कहा।

इस मामले में कांग्रेस की नेत्री डॉ. जया ठाकुर ने एक याचिका दाखिल कर विजय शाह को मंत्री पद से हटाने की मांग की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि याचिका में विजय शाह के जिन कथनों का उल्लेख किया गया है, उन्हें SIT अपनी जांच में शामिल करे और आवश्यकतानुसार रिपोर्ट में उल्लेख करे।

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