जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की धरती, जिसे देवों की भूमि कहा जाता है, जहां हर कोना किसी न किसी देवी-देवता की उपस्थिति का एहसास कराता है—वहीं इस बार प्रकृति का स्वरूप भी कुछ अलग ही नजर आ रहा है। मई की चिलचिलाती गर्मी की जगह इस वर्ष बार-बार आंधी और बारिश का आगमन हो रहा है। मानो प्रभु स्वयं इस तपती धरती पर करुणा बरसा रहे हों। जहां आमतौर पर लू के थपेड़े चलते थे, वहां ठंडी हवाएं और बारिश ने दस्तक दी है।
जून की शुरुआत में भी यह असामान्य मौसम जारी है। सोमवार को भोपाल, इंदौर, रतलाम और धार जैसे कई जिलों में अचानक आसमान बदला। बिजली की गर्जना के साथ तेज हवाएं चलीं, और फिर बूंदाबांदी से धरती शांत हुई। कहीं-कहीं यह वर्षा मध्यम रही, तो कहीं सिर्फ रिमझिम फुहारें बरसीं, मानो देवताओं की कृपा-धारा हो।
मौसम विभाग की चेतावनी भी कम गंभीर नहीं है—ग्वालियर-चंबल संभाग के 8 जिलों में तेज आंधी के साथ ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, जबकि पूरे प्रदेश के 38 जिलों में बारिश और आंधी की आशंका जताई गई है।
ग्वालियर-चंबल संभाग में ऑरेंज अलर्ट, 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी हवाएं
मंगलवार को जिन 8 जिलों में सबसे अधिक खतरा बताया जा रहा है, उनमें ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, आगर-मालवा, मंदसौर और नीमच शामिल हैं। इन जिलों में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज आंधी चल सकती है। वहीं, शेष 30 से अधिक जिलों—जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन, मुरैना, छतरपुर, सतना, सिंगरौली, जबलपुर, बालाघाट, श्योपुर, धार, बड़वानी, देवास, खंडवा, बुरहानपुर आदि में आंधी और गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है।
सीनियर मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि यह सब प्री-मानसून एक्टिविटी का हिस्सा है। वर्तमान में दो बड़े साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रहे हैं। यही कारण है कि कहीं तेज आंधी चल रही है तो कहीं बारिश हो रही है। यह सिलसिला अगले चार दिन—यानी 6 जून तक जारी रहने की संभावना है।
बता दें, प्रदेश में अभी मानसून की एंट्री नहीं हुई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि 10 जून के बाद ही मानसून मध्यप्रदेश में दस्तक देगा। फिलहाल यह महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में अटका हुआ है और पिछले कई दिनों से कोई खास आगे बढ़त नहीं दिखाई है। वहीं, सोमवार शाम को भोपाल और इंदौर में बादलों ने डेरा जमा लिया। फिर धीरे-धीरे बारिश शुरू हुई, जिसने शहर के तापमान को नीचे गिरा दिया। रतलाम और धार जैसे जिलों में भी बारिश दर्ज की गई। इन बदलावों के कारण कई इलाकों में तापमान सामान्य से नीचे चला गया। भोपाल में अधिकतम तापमान 36.4 डिग्री, इंदौर में 34.6 डिग्री, उज्जैन में 36, ग्वालियर में 38.7 और जबलपुर में 37.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। रीवा, खजुराहो और सीधी जैसे इलाकों में अब भी पारा 40 डिग्री पार है, जबकि पचमढ़ी में सबसे ठंडा मौसम रहा, जहां तापमान 29.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।