मालवा के विकास को पंख: इंदौर-खंडवा रेल लाइन को मिली वन विभाग की NOC, अब व्यापार और रोजगार में आएगा उछाल; उत्तर-दक्षिण भारत का सबसे छोटा रेल कॉरिडोर होगा साबित!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

इंदौर और पूरे मालवांचल के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल परियोजना की सबसे बड़ी अड़चन आखिरकार दूर हो गई है। वन विभाग ने इस बहुप्रतीक्षित रेल प्रोजेक्ट के लिए NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी कर दिया है। यह रेल लाइन उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला सबसे छोटा और सीधा रेल कॉरिडोर बनेगी। इससे न सिर्फ इंदौर का व्यापार और उद्योग नई ऊंचाइयों पर जाएगा, बल्कि आम यात्रियों को भी सफर में समय और पैसे की भारी बचत होगी। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इस प्रोजेक्ट की बाधाओं को दूर करने के लिए कई महीनों से लगातार प्रयास किए। उन्होंने रेलवे और वन विभाग के अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठकें करवाईं ताकि तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल हो सकें। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी इस परियोजना को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया, जिसके बाद वन विभाग से मंजूरी मिल पाई।

इस परियोजना के पूरा होते ही इंदौर का सीधा संपर्क खंडवा-भुसावल होते हुए नासिक-मुंबई से जुड़ जाएगा और वहां से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों तक किफायती और तेज़ यात्रा की राह खुलेगी। अभी इंदौर से इन राज्यों तक जाने के लिए लंबा घूमकर जाना पड़ता है। अब यह रेल लाइन उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सबसे छोटा मार्ग बन जाएगी, जिससे माल परिवहन में तेजी आएगी और रेलवे की कमाई में इजाफा होगा। इसका सीधा फायदा इंदौर, धार, खंडवा और आसपास के किसानों, व्यापारियों व उद्योगपतियों को मिलेगा।

हालांकि, तकनीकी वजहों से अब इंदौर से खंडवा की दूरी बढ़कर 80 किमी हो जाएगी। पहले मीटरगेज के जमाने में यह दूरी मात्र 48 किमी थी, पर अब पातालपानी के पहले पहाड़ी क्षेत्र को घेरते हुए बलवाड़ा के रास्ते 32 किमी लंबा चक्कर काटना पड़ेगा। लेकिन इस दूरी में इजाफा भी इसीलिए है ताकि यह मार्ग स्थाई, सुरक्षित और ब्रॉडगेज के हिसाब से बनाया जा सके। इस पूरे ट्रैक में 454 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की आ रही थी, जिसके लिए रेलवे को सालों से अनुमति नहीं मिल रही थी। अब वन विभाग की मंजूरी मिलते ही इस पर तेजी से काम शुरू होगा।

दरअसल, लगभग एक दशक पहले इंदौर-खंडवा के बीच मीटरगेज रेल लाइन बंद हो चुकी थी। तब यह लाइन महू से पातालपानी, कालाकुंड, बलवाड़ा होते हुए खंडवा तक जाती थी। अब ब्रॉडगेज के लिए महू से पातालपानी के पहले ही लाइन घूमकर बलवाड़ा तक जाएगी। यह घुमावदार रूट पहाड़ी और जंगल क्षेत्र से गुजरता है। इसी कारण वन विभाग की एनओसी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई थी।

अब जब वन विभाग से मंजूरी मिल चुकी है, तो रेल मंत्रालय के इंजीनियरिंग विंग और ठेकेदारों की टीमें काम में जुट जाएंगी। सांसद शंकर लालवानी ने कहा है कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ इंदौर ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश के आर्थिक भविष्य को बदलने वाला है। इससे व्यापार और रोजगार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि वन विभाग से मिली इस अनुमति के बाद रेलवे जल्द ही इस प्रोजेक्ट की टाइमलाइन जारी करेगा।

माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में पटरियां बिछाने का काम और पुलों की निर्माण प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि अगले दो साल में यह रेललाइन पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। तब इंदौर के लोग बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोच्चि और मुंबई तक सीधी, तेज़ और कम खर्च वाली रेल सेवा का लाभ उठा सकेंगे।

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