जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत की आंतरिक सुरक्षा की सबसे मजबूत दीवार, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने अपना 86वां स्थापना दिवस इस बार मध्यप्रदेश के नीमच में पूरे सम्मान और गर्व के साथ मनाया। यह वही नीमच है, जहां 27 जुलाई 1939 को ब्रिटिश शासन में ‘क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस’ की नींव रखी गई थी — और यहीं से शुरू हुआ था उस जांबाज़ फोर्स का सफर, जिसे आज हम गर्व से सीआरपीएफ कहते हैं।
इस ऐतिहासिक मौके पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देशवासियों को यह भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल तेजी से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है, बल्कि 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का भी पक्का संकल्प ले चुका है। इस लक्ष्य को हासिल करने में सीआरपीएफ की भूमिका सबसे अहम होगी, क्योंकि यह वही बल है जिसने जम्मू-कश्मीर से लेकर छत्तीसगढ़ के घने जंगलों तक, हर चुनौती को सीना ठोक कर जवाब दिया है।
नीमच स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में आयोजित भव्य कार्यक्रम में अमित शाह ने परेड की सलामी ली और जवानों के जोश और पराक्रम को सलाम किया। उन्होंने कहा, “जहां सीआरपीएफ है, वहां चिंता की कोई बात नहीं।” उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए शांतिपूर्ण चुनावों में सीआरपीएफ की भूमिका को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की जीत बताया।
सीआरपीएफ के 3 लाख जवान इस समय देशभर में कानून-व्यवस्था, आतंकवाद विरोधी अभियानों और उग्रवाद से लड़ने के लिए तैनात हैं। शाह ने संसद पर हुए आतंकी हमले और अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर खतरे के समय सीआरपीएफ की बहादुरी को याद करते हुए कहा कि इन जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना राष्ट्र की रक्षा की है और देश के स्वर्णिम इतिहास में इनका नाम हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा सीएपीएफ (CAPF) कर्मियों को आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्ड, आवास सुविधा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। महिला जवानों की भर्ती और उनके लिए अलग आवास तैयार कराना भी इस फोर्स के समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम है।
सीआरपीएफ को अब तक 2708 वीरता पदक प्राप्त हो चुके हैं — यह संख्या देश की किसी भी बल की तुलना में सबसे ज्यादा है और यह इस बात का प्रमाण है कि इस फोर्स ने हर मौके पर अपने “सेवा और निष्ठा” के मूल मंत्र को निभाया है।
परेड के दौरान सीआरपीएफ की आठ टुकड़ियों ने प्रभावशाली मार्च पास्ट किया। कोबरा कमांडो, आरएएफ, क्यूएटी यूनिट और डॉग स्क्वॉड द्वारा किए गए लाइव प्रदर्शन ने दर्शकों में रोमांच भर दिया। कार्यक्रम के अंत में श्री शाह ने परिसर में स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम का एक और खास आकर्षण रहा चित्र प्रदर्शनी, जिसमें सीआरपीएफ की स्थापना से लेकर आज तक की उपलब्धियों और कार्यों को दृश्य माध्यम से दर्शाया गया। यह प्रदर्शनी देशवासियों को यह बताने का एक सशक्त माध्यम बनी कि किस तरह यह बल पिछले आठ दशकों से भारत की सुरक्षा में मौन प्रहरी बनकर खड़ा है।
बता दें, सीआरपीएफ के स्थापना दिवस समारोह की परेड के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री शाह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ सीआरपीएफ कैम्प नीमच के परिसर में ‘’राष्ट्र सेवा में समर्पित सीआरपीएफ के विभिन्न आयाम चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में सीआरपीएफ की स्थापना से अब तक फोर्स द्वारा अर्जित उपलब्धियों एवं विभिन्न गतिविधियों को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
उल्लेखनीय है कि 86वीं सीआरपीएफ दिवस परेड इस वर्ष 17 अप्रैल को विस्तारित समारोहों के अन्तर्गत आयोजित की गई। सामान्यतः सीआरपीएफ दिवस प्रतिवर्ष 19 मार्च को मनाया जाता है, क्योंकि 1950 में इसी दिन भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीआरपीएफ को ध्वज प्रदान किया था। इस वर्ष नीमच में आयोजन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहीं 27 जुलाई 1939 को ब्रिटिश शासन के दौरान ‘क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस’ की स्थापना हुई थी। स्वतंत्रता के बाद, 28 दिसंबर 1949 को सरदार पटेल ने इसे “केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ)” नाम दिया। आज सीआरपीएफ देश की आंतरिक सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है हर चुनौतीपूर्ण मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में डटे रहकर, “सेवा और निष्ठा” के अपने मूल मंत्र को चरितार्थ कर रहा है।