जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में मौसम एक बार फिर करवट ले चुका है। दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में बने निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) का असर अब प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में भी दिखाई देने लगा है। पिछले 24 घंटों के दौरान ग्वालियर, जबलपुर, सागर और नर्मदापुरम समेत 12 जिलों में हल्की बारिश और गरज-चमक का दौर देखने को मिला। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक इसी तरह का मौसम बने रहने की संभावना जताई है।
आकाशीय बिजली गिरने से दो लोगों की मौत
बुधवार शाम मैहर जिले के अरगट गांव में आकाशीय बिजली गिरने से एक महिला और एक किसान की मौत हो गई, जबकि दो अन्य किसान घायल हुए हैं। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पताल में जारी है।
दक्षिणी जिलों में रहेगा सिस्टम का असर
सीनियर मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में बना लो प्रेशर सिस्टम आगे बढ़ रहा है। इसके कारण मध्यप्रदेश के दक्षिणी और मध्य भागों में आंधी, बूंदाबांदी और गरज-चमक वाला मौसम बना रहेगा।
मौसम विभाग के अनुसार,
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गुरुवार को बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, पांढुर्णा और बालाघाट में हल्की बारिश और आंधी रह सकती है।
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24 से 26 अक्टूबर के बीच इंदौर, नर्मदापुरम और जबलपुर संभाग में इसका अधिक प्रभाव रहेगा।
पिछले 24 घंटे: 12 जिलों में हुई बारिश
बीते 24 घंटों में ग्वालियर, सागर, छतरपुर, हरदा, रायसेन, बैतूल, बुरहानपुर, नर्मदापुरम, जबलपुर, सिवनी, रीवा और छिंदवाड़ा में हल्की बारिश दर्ज की गई।
जबलपुर में दिवाली की रात भी करीब 0.75 इंच पानी गिरा था, जिससे शहर का तापमान नीचे आ गया।
दिन गर्म, रातें ठंडी — तापमान में बड़ा अंतर
हल्की बारिश और हवाओं के बीच अब प्रदेश में रातें ठंडी और दिन गर्म हो गए हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, अक्टूबर के अंत तक ऐसा ही मौसम रहेगा, जबकि नवंबर के दूसरे सप्ताह से कड़ाके की ठंड शुरू हो जाएगी।
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भोपाल में रात का तापमान 18.2 डिग्री
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इंदौर 20.8 डिग्री
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उज्जैन 21.5 डिग्री
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ग्वालियर 22.2 डिग्री
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जबलपुर 22.1 डिग्री दर्ज किया गया।
वहीं दिन का पारा 32 डिग्री से पार दतिया, गुना, खंडवा, उज्जैन, सागर और जबलपुर जैसे कई शहरों में रहा।
नवंबर से जनवरी तक रहेगी कड़ाके की ठंड
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी रहेंगी। 2010 के बाद की सबसे ठंडी सर्दी पड़ने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान बारिश भी सामान्य से अधिक हो सकती है क्योंकि ला-नीना परिस्थितियां (La Niña Conditions) विकसित हो रही हैं। आईएमडी ने भी इसकी पुष्टि की है।
प्रदेश से विदा हुआ मानसून, लेकिन बारिश अभी जारी
मौसम विभाग ने पुष्टि की है कि मध्यप्रदेश से मानसून पूरी तरह विदा हो चुका है। इस बार मानसून 16 जून को आया था और 13 अक्टूबर को विदा हुआ, यानी लगभग 3 महीने 28 दिन तक सक्रिय रहा। फिर भी, सिस्टम एक्टिव होने के कारण हल्की बारिश का दौर बना रहेगा।
बारिश के आंकड़े: ‘हैप्पी एंडिंग’ रहा मानसून
इस बार प्रदेश में मानसून की विदाई ‘हैप्पी एंडिंग’ के साथ हुई।
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भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिलों में बहुत ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
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गुना जिला सबसे अधिक वर्षा वाला रहा — 65.7 इंच पानी दर्ज हुआ।
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श्योपुर में 216% बारिश, जो सामान्य से दोगुनी रही।
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शाजापुर ऐसा जिला रहा जहां सिर्फ 81% बारिश हुई, जो सामान्य से काफी कम है।
मौसम विभाग ने इस साल 106% बारिश का अनुमान जताया था, लेकिन प्रदेश में 15% अधिक वर्षा दर्ज की गई। ग्वालियर-चंबल संभाग में बारिश दोगुनी मात्रा में हुई, जबकि उज्जैन, बैतूल और सीहोर जैसे जिलों में कोटा लगभग पूरा हो गया।
फायदा किसानों और जलस्तर दोनों को
विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी बारिश से इस साल फसल उत्पादन, पेयजल आपूर्ति और सिंचाई व्यवस्था में राहत रहेगी। भू-जल स्तर भी सामान्य से ऊपर बना रहेगा, जिससे सर्दियों की फसलों के लिए पर्याप्त नमी उपलब्ध रहेगी।
दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के इस सिस्टम ने एक बार फिर मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज बदल दिया है। आने वाले चार दिन तक प्रदेश के दक्षिणी जिलों में बारिश, आंधी और बिजली गिरने की संभावना बनी रहेगी। साथ ही नवंबर से सर्दी का असर तेज़ होने की उम्मीद है।