वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को इस मसले पर दूसरे दिन की सुनवाई बेहद अहम और झकझोर देने वाली रही। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस कानून के खिलाफ दायर 70 याचिकाओं की बजाय केवल 5 महत्वपूर्ण याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा, जिससे पूरे देश में बहस तेज हो गई है। अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन की मोहलत दी है और कहा है कि इसके बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की गई है।
CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट के लिए 110 से 120 याचिकाएं पढ़ पाना व्यावहारिक नहीं है, इसलिए सभी याचिकाकर्ताओं को मिलकर 5 मुख्य आपत्तियां तय करनी होंगी, जिन पर आगे की बहस की जाएगी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह कार्य नोडल काउंसिल के जरिए किया जाए ताकि मुद्दे साफ-साफ और सीमित रूप में सामने आ सकें।
इधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ कानून में संशोधन के विरोध में एक बड़ा अभियान छेड़ा है। 11 अप्रैल से 7 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान का लक्ष्य है 1 करोड़ हस्ताक्षर इकट्ठा करना, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा। AIMPLB का दावा है कि यह कानून न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात है, बल्कि देश के संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है।
इसी के साथ वक्फ संशोधन कानून अब सिर्फ धार्मिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह एक संवैधानिक और सामाजिक संघर्ष का रूप ले चुका है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी और केंद्र सरकार से जवाब तलब करना दिखाता है कि मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। 5 मई की अगली सुनवाई में क्या निर्णय आता है, उस पर देश की नज़रें टिकी हैं।