जबलपुर में धर्मांतरण के संदेह पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने रोकी बस, यात्रियों को भेजा थाने: पुलिस जांच में नहीं मिले प्रमाण, यात्रियों ने कहा – हम अपनी मर्जी से चर्च जा रहे थे

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

जबलपुर में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को एक यात्री बस को रोककर उसमें सवार यात्रियों को रांझी थाने पहुंचा दिया। संगठन के कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह बस चोरी-छिपे आदिवासी समाज के लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए चर्च ले जा रही थी। हालाँकि, जब यात्रियों से पूछताछ की गई, तो उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और बताया कि वे अपनी मर्जी से तीर्थयात्रा पर निकले थे।

कैसे पकड़ी गई बस?

बताया जा रहा है कि बस मंडला के महाराजपुर से जबलपुर आ रही थी। जब यह भंवरताल पार्क के पास पहुंची, तभी हिंदू संगठनों को इस बस की जानकारी मिली। संगठन के कार्यकर्ताओं ने बस को घेर लिया और चालक से पूछताछ शुरू कर दी। इसी दौरान बस चालक मौके से फरार हो गया, जिसे कार्यकर्ताओं ने पीछा कर रांझी में पकड़ लिया। इसके बाद, बस में सवार करीब 50 यात्रियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया।

थाने में पूछताछ के दौरान बस में सवार एक युवती ने बताया कि वे सभी ईस्टर के त्योहार से पहले अलग-अलग चर्चों के दर्शन और तीर्थयात्रा के लिए आए थे। “हमने अपनी मर्जी से यह यात्रा चुनी है। किसी ने हमें जबरदस्ती नहीं बुलाया। हमने बस का किराया भी खुद ही दिया था और चर्च जाने की योजना पहले से थी।” यात्रियों ने यह भी बताया कि उन्होंने 500-500 रुपए देकर यात्रा की व्यवस्था की थी और वे केवल भंवरताल चर्च और रांझी स्थित चर्च का भ्रमण करने वाले थे।

विश्व हिंदू परिषद ने उठाए सवाल

इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता थाने में विरोध जताने लगे। संगठन के वरिष्ठ सदस्य संजय तिवारी ने कहा, “अगर ये लोग क्रिश्चियन हैं, तो उनकी सरकारी आईडी में भी यही दर्ज होना चाहिए। लेकिन उनकी पहचान आदिवासी के रूप में दर्ज है। हमें सूचना मिली थी कि धर्मांतरण के लिए लोगों को बहला-फुसलाकर जबलपुर लाया गया है। जब हम मौके पर पहुँचे, तो दो बसें थीं, लेकिन एक बस निकल गई।”

थाने में हुई मारपीट, पुलिस और कार्यकर्ताओं में बहस

मामला तब और गर्मा गया जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने थाने में ही दो लोगों के साथ मारपीट कर दी, जो यात्रियों से मिलने आए थे। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि ये लोग आदिवासी यात्रियों को गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस ने तुरंत स्थिति को संभाला, लेकिन इस दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी बहस हो गई।

मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना प्रभारी मानस द्विवेदी ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा, “हमने बस में सवार सभी यात्रियों से पूछताछ की है। वे सभी महाराजपुर, मंडला के निवासी हैं और वहीं के चर्चों से जुड़े हुए हैं। उनकी यात्रा का उद्देश्य केवल चर्चों के भ्रमण और ईस्टर के पहले धार्मिक अनुष्ठान करना था। किसी भी यात्री ने यह नहीं कहा कि उन पर धर्म परिवर्तन का कोई दबाव था।” पुलिस ने आगे कहा कि वे इस मामले की पूरी जांच कर रहे हैं और मंडला जिले की पुलिस टीम से भी संपर्क किया जा रहा है।

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