जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला कर रख दिया। इस नृशंस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई और पूरा देश आक्रोश से भर उठा। इस हमले के ठीक अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक आपात उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई, जिसमें पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने अब तक के सबसे सख्त और ऐतिहासिक फैसले लिए।
बैठक में लिए गए 5 बड़े फैसलों ने साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ निंदा नहीं, निर्णायक कार्रवाई के रास्ते पर चल पड़ा है। सबसे पहला फैसला था – 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोक देना। 1960 में हुई इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के जल का बंटवारा हुआ था। भारत पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का उपयोग करता है और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी मिलता है। भारत ने अब ये पानी रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे पाकिस्तान की 80% खेती पर संकट गहराएगा। बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा और वहां जल संकट पैदा हो जाएगा।
दूसरा बड़ा फैसला था – अटारी चेक पोस्ट को बंद करना। इससे पाकिस्तान से भारत आने-जाने वाले नागरिकों की आवाजाही ठप हो जाएगी। भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों को अपने देश लौटने के लिए 1 मई तक का समय दिया है। इसके बाद वे इस रास्ते से वापस नहीं आ सकेंगे। इससे पाकिस्तान के छोटे व्यापारियों पर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा और सीमावर्ती व्यापार बंद हो जाएगा।
तीसरा निर्णय – पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा देने की प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी गई है। SAARC वीजा छूट योजना के तहत भी अब कोई पाकिस्तानी भारत में प्रवेश नहीं कर सकेगा। भारत सरकार का कहना है कि कई पाकिस्तानी लोग रिश्तेदारी या धार्मिक यात्रा के नाम पर भारत में प्रवेश करते हैं और आतंकियों के नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं। वीजा बंद होने से आतंकवादियों की घुसपैठ पर सीधा असर पड़ेगा।
चौथा फैसला – नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सभी डिफेंस एडवाइजर्स (सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रतिनिधि) को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर दिया गया है। जी हाँ भारत ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात पाकिस्तानी मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को अवांछित व्यक्ति घोषित कर कहा की उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय है। 1 मई 2025 तक पाकिस्तान के हाई कमीशन में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान के दूतावास पर इतना सीधा और ठोस असर डाला गया है।
पांचवां निर्णय था – भारत ने अपने डिफेंस एडवाइजर्स को भी पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग से वापस बुला लिया है। इसके साथ ही उनके सहयोगी सपोर्ट स्टाफ को भी दिल्ली बुला लिया गया है। इसका सीधा मतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब सैन्य और कूटनीतिक संवाद पूरी तरह ठप हो जाएगा।
इन फैसलों के दो स्पष्ट असर होंगे – एक, सैन्य-स्तर की बातचीत अब पूरी तरह से रुक जाएगी, जिससे पाकिस्तान को सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग किया जाएगा। और दूसरा, भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग की कूटनीतिक ताकत और पहुंच सीमित हो जाएगी, जिससे उसकी गतिविधियों पर नियंत्रण आसान होगा।