वैश्य, राजपूत या अनुसूचित जाति: कौन बनेगा बीजेपी का अगला अध्यक्ष? मची सियासी हलचल!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की सियासत में आज एक बड़ा सवाल गूंज रहा है… कौन बनेगा बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष? इस सवाल के जवाब के लिए हर किसी की नजरें दिल्ली विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं!

जहां एक ओर 62 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, वहीं प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है! क्या कारण हैं, जो बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित नहीं हो पा रहा? क्या हैं वो मजबूत दावे जो इस रेस को और दिलचस्प बना रहे हैं?

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने कई तरह के समीकरणों पर चर्चा की है! मध्यप्रदेश में जाति-समाज का संतुलन, मुख्यमंत्री की विदेश यात्रा और दिल्ली विधानसभा चुनाव की व्यस्तता – ये सभी कारण बने हैं, जो इस चुनाव को टालने के पीछे का कारण हो सकते हैं। बता दें, इन सब कारणों में से प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव टलने की दो प्रमुख वजहें हैं। पहला, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 27 जनवरी से 2 फरवरी तक विदेश यात्रा पर जा रहे हैं, और दूसरा कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं की व्यस्तता है। इन दोनों कारणों से प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद, 5 फरवरी को वोटिंग होने के बाद शुरू की जा सकती है।

लेकिन सवाल तो ये है… इस राजनीतिक जंग में कौन जीतेगा?

दरअसल, इस बात की चर्चा तेज हो रही है कि इस बार बीजेपी अनुसूचित जाति वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद मध्यप्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। और अब एक बार फिर कांग्रेस जय भीम, जय बापू, जय संविधान रैली कर अंबेडकर पर केंद्रित राजनीति को और भी ज्यादा गरमाने वाली है।

हालांकि चर्चा इस बात पर भी तेज है कि क्या बीजेपी का अगला अध्यक्ष वैश्य समाज से होगा, या फिर क्या राजपूत समाज से कोई नेता एक बार फिर से ताकतवर बन सकता है?

लेकिन हमारे पास कुछ ऐसे नाम हैं, जो इस पद की रेस में सबसे आगे हैं। पहला नाम है वैश्य समाज से बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल का, तो दूसरा नाम संघ की नज़रों में बने गजेन्द्र सिंह पटेल का। वहीं, आलोक शर्मा भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी होने के नाते इस रेस में हैं। और पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया, बृजेन्द्र प्रताप सिंह जैसे नाम भी इस रेस में शामिल हैं… कोई भी हो, लेकिन एक बात तो तय है, इस चुनावी खेल में बड़ा ट्विस्ट आ सकता है!

इन सब समीकरणों के बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए अनुसूचित जाति को मौका देने की तैयारी कर रही है, या कोई और बाजी मार जाएगा। मध्यप्रदेश की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है… कौन बनेगा बीजेपी का अगला अध्यक्ष, और क्या इसके साथ ही बीजेपी की सत्ता की तासीर बदलेगी?

 

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