UP Lok Sabha Elections: अनुसूचित जाति को अपना कोर वोट बैंक मानने वाली BSP बांसगांव की सुरक्षित सीट पर जीत के लिए तरस रही है. BSP को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख पार्टियों ने यहां अपनी जीत का परचम लहराया है. BSP उम्मीदवारों को यहां कभी भी 18 फीसदी से कम वोट नहीं मिले लेकिन जीत के लिए जरूरी वोट नहीं जुटा सके. लगातार चार चुनावों में दूसरा स्थान मिला, SP के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद भी हार का सिलसिला नहीं थमा।
बांसगांव सुरक्षित लोकसभा सीट तीसरी लोकसभा के चुनाव से अस्तित्व में है। इस चुनाव में Congress के महादेव प्रसाद विजयी रहे. पांच साल बाद हुए चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के मोल्हू ने जीत हासिल की. अगले ही चुनाव में सीट फिर Congress के खाते में आ गई और रामसूरत सांसद बन गए. आपातकाल के बाद 16 मार्च 1977 को हुए चुनाव में इस सीट से केवल दो उम्मीदवार मैदान में थे. भारतीय लोकदल ने यहां नौ सीटों पर क्लीन स्वीप किया था और इसी पार्टी के फिरंगी प्रसाद 75 फीसदी से ज्यादा वोट पाकर यहां जीते थे.
अगले दो चुनावों में Congress का दबदबा रहा और बांसगांव में इस पार्टी के उम्मीदवार जीते. 1989 के चुनाव में पहली बार अपना उम्मीदवार खड़ा किया. यह दौर Congress के विरोध का था और हवा जनता दल के पक्ष में थी, लेकिन Congress नेता महावीर प्रसाद 34 फीसदी से ज्यादा वोट पाकर यह सीट जीतने में सफल रहे. BSP ने मोलई प्रसाद को मैदान में उतारा था. पहले ही चुनाव में पार्टी को 18.14 फीसदी वोट मिले लेकिन वह तीसरे स्थान पर रही.
दो साल बाद रामलहर में हुए चुनाव में BJP के राजनारायण ने यह सीट जीत ली. BSP के मोलाई को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा लेकिन उन्हें मिले वोटों के प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई. 1996 में हुए चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर मोलाई पर भरोसा जताया. उन्होंने अपना वोट प्रतिशत फिर बढ़ाया लेकिन तीसरे स्थान से ऊपर नहीं बढ़ सके. इस बार जीत SP की सुभावती पासवान को मिली.
पार्टी ने लगातार उम्मीदवार बदले, सफलता नहीं मिली
1998 के चुनाव में BSP ने इस सीट से अपना उम्मीदवार बदल दिया और ई. विक्रम प्रसाद पर भरोसा जताया. वोट फिर बढ़े लेकिन उन्हें भी तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में BJP के राजनारायण पासी ने जीत हासिल की. ठीक एक साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में BSP ने फिर अपना उम्मीदवार बदल दिया.
सदरी पहलवान हाथियों के महावत बनकर मैदान में आये। वह करीब 23 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. 14वीं लोकसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बदला और सदल प्रसाद पर भरोसा जताया. सदल ने करीब 26 फीसदी वोट पाकर सीधी लड़ाई लड़ी.
इस चुनाव में Congress के कद्दावर नेता महावीर प्रसाद ने एक बार फिर जीत हासिल की. 2009 में एक बार फिर हाथी का महावत बदल गया. वकील श्रीनाथ को टिकट दिया गया. इस समय प्रदेश में BSP की सरकार थी। श्रीनाथ को 26.22 फीसदी वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे. 2014 के चुनाव में सदल प्रसाद पर भरोसा जताया गया था. वह 26.02 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
इन दोनों चुनावों में BJP के कमलेश पासवान सांसद बने. पिछले चुनाव में बसपा ने SP से गठबंधन कर सदल प्रसाद को मैदान में उतारा था। दोनों पार्टियों को कुल मिलाकर 40.55 फीसदी वोट मिले. लगातार दूसरे स्थान पर रहे BSP प्रत्याशियों को कोई सहानुभूति मिलती नहीं दिख रही है।
BSP इस बार अकेले चुनाव लड़ने जा रही है लेकिन अभी तक उम्मीदवार तय नहीं हुआ है. तीन बार दूसरे स्थान पर रहे सदल प्रसाद इस बार SP-Congress गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी हैं।