मध्यप्रदेश में मानसून का असमान वितरण: कहीं राहत की बौछार, कहीं सूखे की मार; अभी दो दिन नहीं बरसेगा पानी, 23 जुलाई के बाद फिर सक्रिय होगा मानसून!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में इस बार मानसून का मिज़ाज कुछ अलग ही नज़र आ रहा है। राज्य के कुछ जिलों में तो बादल मेहरबान हैं, जबकि कुछ इलाके आज भी बूंदों के लिए तरस रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि निवाड़ी, टीकमगढ़ और श्योपुर जैसे जिलों ने इस बार बारिश का कोटा पार कर लिया है, और ये जिले अब बोनस की बारिश झेल रहे हैं। वहीं, इंदौर, उज्जैन, शाजापुर और बुरहानपुर जैसे जिले पीछे छूट गए हैं, जहां अब तक सामान्य से बहुत कम बारिश दर्ज की गई है।

इस सीजन में अब तक प्रदेश में औसतन 20.5 इंच बारिश हो चुकी है। जबकि मध्यप्रदेश की सामान्य औसत बारिश करीब 37 इंच मानी जाती है। यानि राज्य में अब तक सिर्फ 60% बारिश हुई है। लेकिन चिंता की बात ये नहीं, बल्कि वर्षा का असमान वितरण है। एक तरफ टीकमगढ़ में 37.88 इंच पानी गिर चुका है – जो कि जिले के औसत 35.89 इंच से 5 प्रतिशत ज्यादा है। निवाड़ी में 35.13 इंच और श्योपुर में 28.67 इंच पानी गिर चुका है। यानी इन जिलों में मौसम अपना फर्ज़ पूरा कर चुका है।

मौसम विभाग की मानें तो मानसून इस बार 16 जून को मध्यप्रदेश में प्रवेश कर चुका था। और सवा महीने में ही आधे से ज़्यादा बारिश हो चुकी है। अच्छी बात यह है कि अभी मानसून को करीब सवा दो महीने और सक्रिय रहना है, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त में ही प्रदेश अपने वर्षा लक्ष्य को पूरा कर लेगा। साथ ही, इस बार मौसम विभाग ने भी सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया है।

अब बात करते हैं उन इलाकों की, जहां इंद्र देवता कुछ खास मेहरबान नहीं हुएइंदौर में सिर्फ 7.2 इंच, उज्जैन में 8.4 इंच, शाजापुर में 6.9 इंच, बुरहानपुर में 7.3 इंच, और आगर-मालवा में 7.6 इंच बारिश दर्ज की गई है। इन आंकड़ों से साफ है कि पश्चिमी मध्यप्रदेश अब भी सूखे जैसे हालात का सामना कर रहा है

इस बीच जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में मॉनसून की स्ट्रॉन्ग एक्टिविटी देखने को मिली। यहां के जिलों में लगातार तेज बारिश और बाढ़ जैसे हालात बनेमंडला में 36.49 इंच, छतरपुर में 95%, शिवपुरी में 93%, और ग्वालियर में 80% बारिश दर्ज की गई है।

इतनी बारिश के चलते प्रदेश के कई डैम भी ओवरफ्लो हो गए हैं। भोपाल के बड़ा तालाब, केरवा और कलियासोत डैम में पानी भर चुका है। बरगी और जौहिला डैम के गेट भी खोले जा चुके हैं। राज्य के कुल 54 बड़े डैमों में इस बार अच्छा जलस्तर देखने को मिल रहा है।

अब सवाल ये उठता है कि आने वाले दिन कैसे होंगे? वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, वर्तमान में कोई स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव नहीं है। इसलिए अगले दो दिन भारी बारिश की संभावना नहीं है, लेकिन 23 जुलाई के बाद फिर से अच्छी बारिश लौट सकती है।

तो कुल मिलाकर, मध्यप्रदेश में मानसून का खेल दिलचस्प है — कुछ जिलों में राहत, कुछ में चिंता, और अब सबकी निगाहें अगस्त पर टिकी हैं… जहां शायद इंद्रदेव सभी पर समान कृपा करें

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