उज्जैन के लाडले नेता डॉ. मोहन यादव: मुख्यमंत्री के रूप में सफलतापूर्वक पूरा हुआ एक वर्ष, विकास और समरसता की पेश की नई मिसाल

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पहले कार्यकाल का एक वर्ष सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह एक ऐसा वर्ष रहा जिसने प्रदेश की राजनीति, विकास, और जनकल्याण की दिशा में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। मुख्यमंत्री के रूप में उनकी कार्यशैली ने प्रदेशवासियों में उम्मीदों का एक नया उजाला डाला है। उनका नेतृत्व न केवल विकास की गति को तेज कर रहा है, बल्कि सामाजिक समरसता और कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से हर वर्ग के लिए समान अवसर सुनिश्चित कर रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सादगीपूर्ण व्यक्तित्व, दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प ने प्रदेशवासियों के दिलों में एक नई उम्मीद जगाई है।

एक साल पहले, 13 दिसंबर 2023 को, जब डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह प्रदेश के इतिहास में परिवर्तन का एक नया अध्याय होगा। एक ऐसा अध्याय जो विकास, सामाजिक समरसता और जनकल्याण की एक नई परिभाषा लिखेगा।

विद्यार्थी परिषद से जुड़कर अपना सार्वजनिक जीवन आरंभ करने वाले मोहन यादव आरंभ से ही अपने संगठन में एक संभावनाशील व्यक्तित्व के रूप में देखे गए। कालांतर में संगठन के कई पदों पर पहुंचे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी श्रेष्ठ प्रशासनिक कौशल को प्रदर्शित किया। विधायक बने, मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष बने और पिछली शिवराज सिंह सरकार में वे उच्च शिक्षा मंत्री रहे। उनके इस राजनीतिक सफर का पार्टी के रणनीतिकारों ने आकलन किया तो मध्य प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री पद हेतु एक सुयोग्य चेहरा डॉ. मोहन यादव का दिखाई दिया। 1 वर्ष के मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में डॉक्टर मोहन यादव ने यह सिद्ध कर दिया कि उनकी पार्टी के आला कमान का निर्णय कितना कारगर है।

डॉ. मोहन यादव—उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक परिवेश में पले-बढ़े इस नेता ने अपनी आस्था और दृढ़ विश्वास को हमेशा अपने निर्णयों का आधार बनाया। मुख्यमंत्री बनने के बाद, उनकी पहली यात्रा बाबा महाकाल के दरबार में उनकी कृतज्ञता व्यक्त करने की थी। यह आस्था उनके हर कदम और हर फैसले में झलकती है। अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में, डॉ. यादव ने विकास और जनता की सेवा को सर्वोपरि रखा। उनके नेतृत्व में मध्य प्रदेश को ‘डबल इंजन सरकार’ का असली फायदा मिला।

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मुख्यमंत्री का पद संभालने के साथ ही डॉ. मोहन यादव ने वो फैसले लिए, जो समाज के हर वर्ग के लिए मिसाल बने। उनकी पहली कैबिनेट बैठक में दो ऐतिहासिक निर्णय हुए—लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ पर नियंत्रण और खुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध। उनका उद्देश्य स्पष्ट था: समाज में शांति और सामंजस्य स्थापित करना।

डॉ. मोहन यादव ने अपने तीन महीने के छोटे लेकिन प्रभावशाली कार्यकाल में इतिहास रच दिया। उनकी रणनीति और नेतृत्व ने भाजपा को प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर विजय दिलाई। इतना ही नहीं, कांग्रेस के अभेद्य गढ़ छिंदवाड़ा को भी उन्होंने भाजपा के नाम कर दिया। यह जीत उनकी कुशल योजना और जनता के विश्वास का प्रमाण थी।

उनकी ‘साइबर तहसील योजना’ ने प्रशासनिक व्यवस्था को डिजिटल युग में ढाल दिया। वहीं, ‘केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना’ जैसी विशाल योजनाओं को मंजूरी देकर उन्होंने राज्य के जल संकट को दूर करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए। इंदौर की हुकुमचंद मिल के मजदूरों को उनका लंबित हक दिलाकर उन्होंने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया। यह फैसला केवल एक मजदूर वर्ग की मदद नहीं, बल्कि न्याय और समानता का प्रतीक बन गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला पहला राज्य बनाते हुए, उन्होंने 55 जिलों में पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की। डॉ. यादव ने लाडली बहना योजना का विस्तार करते हुए महिलाओं को 1250 रुपये की मासिक सहायता दी। किसान हित में गेहूं के समर्थन मूल्य पर बोनस और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं मंजूर कर, कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश की तस्वीर बदलने का जो सपना देखा, उसे पूरा करने की राह में, वे लगातार नई-नई योजनाओं और पहलों से प्रदेश को आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने मध्यप्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित करने और निवेशकों को आमंत्रित करने के उद्देश्य से जबलपुर, इंदौर और उज्जैन (मालवा-निमाड़ क्षेत्र), फिर सागर (बुंदेलखंड क्षेत्र) और रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किए। वे यहीं नहीं रुके, उन्होंने प्रदेश को औद्योगिक हब बनाने के लिए जर्मनी और यूके का दौरा किया और 78,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया।

डॉ. मोहन यादव ने दिखा दिया कि वे केवल योजनाएं बनाने वाले नेता नहीं हैं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जनता से जुड़े हुए हैं। उनका हर निर्णय मध्य प्रदेश की जनता को समर्पित था। उन्होंने प्रदेश के छोटे शहरों को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए पीएम श्री वायुसेवा और एयर एंबुलेंस सेवा का शुभारंभ किया। दो चरणों में चलाए गए राजस्व महा अभियान ने 80 लाख मामलों का समाधान किया।

डॉ. मोहन यादव केवल एक प्रशासक नहीं हैं। वे एक ऐसे नेता हैं, जिनमें जनसमर्थन, दूरदृष्टि और संवेदनशीलता का अद्वितीय संयोजन है। यह केवल एक शुरुआत है। यह केवल एक सफर नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की यात्रा है।

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