जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर राजभवन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने गोंडवाना साम्राज्य की गौरव रानी दुर्गावती के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पण कर उन्हें नमन किया। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राजभवन के अधिकारी और कर्मचारियों ने भी वीरांगना रानी दुर्गावती को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राजभवन नियंत्रक शिल्पी दिवाकर और अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।
बात दें, रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर (वर्तमान में जिला बांदा) के किले में हुआ था। वे महोबा के चन्देलवंशीय राजा कीरत सिंह चन्देल की एक मात्र संतान थीं। हर वर्ष 5 अक्टूबर को उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती है। वीरांगना रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की एक महान शासक थीं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि और आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। दमोह जिले की तहसील जबेरा के ग्राम सिंग्रामपुर के पास सिंगौरगढ़ का किला स्थापित है, जहां रानी दुर्गावती का आधिपत्य था।
बता दें, गोंडवाना राज्य के राजा संग्रामशाह मड़ावी चंदेल राजकुमारी दुर्गावती से बहुत प्रभावित थे। सन् 1542 में संग्रामशाह ने अपने पुत्र दलपतशाह मड़ावी से दुर्गावती का विवाह कराया। सन् 1545 में रानी दुर्गावती ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम वीरनारायण रखा। सन् 1550 में राजा दलपतशाह की असामयिक मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती ने अल्प-वयस्क राजा की संरक्षिका के रूप में 1564 तक गोंड साम्राज्य की बागडोर संभाली थी। रानी दुर्गावती ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा की, उन्होंने अपने मान-सम्मान, धर्म की रक्षा एवं स्वतंत्रता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अनेकों बार शत्रुओं को पराजित करते हुए अपना बलिदान दे दिया।