नर्सिंग घोटाले का जिन्न फिर बोतल से बाहर: 8 लाख में मिल रही फर्जी मान्यता, ऑडियो वायरल; CMHO पर गंभीर आरोप, सफाई में CMHO बोले – “मैं निरीक्षण टीम में था ही नहीं”!

You are currently viewing नर्सिंग घोटाले का जिन्न फिर बोतल से बाहर: 8 लाख में मिल रही फर्जी मान्यता, ऑडियो वायरल; CMHO पर गंभीर आरोप, सफाई में CMHO बोले – “मैं निरीक्षण टीम में था ही नहीं”!

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों से जुड़ा बहुचर्चित घोटाला थमता नहीं दिख रहा। अब एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था की जड़ें हिलती नजर आ रही हैं। ग्वालियर में चल रहे दर्जनों प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों पर फर्जी मान्यता दिलाने का संगठित खेल उजागर हुआ है। इस खेल का एक ऑडियो वायरल हो चुका है, जिसमें कथित तौर पर प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PNIA) के प्रेसिडेंट राम मिलन सिंह और एक निजी कॉलेज संचालक के बीच की बातचीत सामने आई है।

रिकॉर्डिंग के अनुसार, ग्वालियर के CMHO डॉ. सचिन श्रीवास्तव और उनकी टीम पर 8 लाख रुपए में कॉलेजों को नियमों के विरुद्ध मान्यता देने का आरोप है। राम मिलन सिंह का दावा है कि उन्होंने खुद फर्जी अस्पतालों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया, जिनमें कई जगहों पर शटरबंद खंडहर, झूठे पते और अस्पताल के नाम पर लगे सिर्फ बैनर ही मिले। उन्होंने वीडियो सबूत 7 जुलाई को प्रशासन को सौंपे भी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

राम मिलन सिंह ने बताया कि SS हॉस्पिटल और MD हॉस्पिटल जैसे संस्थानों को फर्जी आधार पर मान्यता दे दी गई है। इन अस्पतालों के गेट पर हमेशा ताला रहता है, न कोई डॉक्टर है, न मरीज। इसके बावजूद, इन्हीं के नाम पर नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता कराई जा रही है। YS हॉस्पिटल को 180 बेड की मान्यता मिली है, जबकि मौके पर 20 बेड भी नहीं पाए गए।

नियमों के अनुसार, नर्सिंग कॉलेजों को खुद के अस्पताल की व्यवस्था करनी होती है या सरकारी अस्पताल में बेड अलॉट होने चाहिए। अपने अस्पताल में कम से कम 70% बेड भरे होने जरूरी होते हैं ताकि छात्रों को क्लीनिकल ट्रेनिंग मिल सके। 100 बेड के अस्पताल में कम से कम 70 मरीज भर्ती होने चाहिए। मगर इस शर्त की धज्जियाँ उड़ाते हुए निरीक्षण टीम ने कागजों पर ही खेल कर मान्यता दे दी।

एक ही बिल्डिंग में चार-चार संस्थान, अस्पताल भी!

ग्वालियर के एक ही भवन में B.Ed, D.Ed, फार्मेसी कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज के साथ 150 बिस्तरों का अस्पताल भी चलाया जा रहा है। जबकि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सभी के लिए अलग-अलग इमारतें होना जरूरी है। मगर वास्तविकता में न स्टाफ है, न मरीज, न छात्र! ये सब केवल “डिग्री बेचने” के कारखाने बन चुके हैं।

आरोपों पर सफाई में CMHO बोले – “मैं निरीक्षण टीम में था ही नहीं”

CMHO डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि यह आरोप बदले की भावना से लगाए गए हैं क्योंकि उन्होंने खुद 118 फर्जी अस्पतालों का पंजीयन निरस्त किया है। राम मिलन सिंह पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि सिंह का खुद का अस्पताल 200 बेड वाला था जिसे उन्होंने निरस्त किया था, इसलिए यह सब बदले की भावना से किया जा रहा है।

PNIA प्रेसिडेंट का दावा है कि पहली बार निरीक्षण प्रक्रिया में CMHO ऑफिस की टीम को शामिल किया गया और इसी टीम ने केवल उन अस्पतालों को मान्यता दी, जिन्होंने रिश्वत दी। उनका कहना है कि यह वेरिफिकेशन दोबारा हो और टीम किसी अन्य जिले से बुलाई जाए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।

Leave a Reply