जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
आज की डिजिटल जिंदगी में मोबाइल फोन हमारी सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात को सोने तक हमारा एक बड़ा हिस्सा इस छोटे से डिवाइस में ही सिमट चुका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सोते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल आपके शरीर और दिमाग पर कितना खतरनाक असर डाल सकता है? ताज़ा रिसर्च और एक्सपर्ट्स की राय यही कहती है कि रात के समय मोबाइल चलाने की आदत धीरे-धीरे आपको मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से बीमार बना सकती है।
सबसे पहला और बड़ा असर हमारी नींद की क्वालिटी पर पड़ता है। मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (Blue Light) हमारे दिमाग को ये भ्रम देती है कि अभी दिन है। इससे मेलाटोनिन नामक नींद लाने वाला हार्मोन बनने में रुकावट आती है, और यही कारण है कि आपको जल्दी नींद नहीं आती या फिर आपकी नींद बार-बार टूटती है। नतीजा – अगली सुबह आप थका हुआ महसूस करते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं और दिमाग सुस्त रहता है।
इसके अलावा अंधेरे में मोबाइल चलाना आपकी आंखों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। लंबे समय तक ऐसा करने से डिजिटल आई स्ट्रेन, आंखों में जलन, धुंधलापन और यहां तक कि रेटिना डैमेज तक की नौबत आ सकती है। डॉक्टरों की मानें तो लगातार नीली रोशनी में आंखें गड़बड़ाने लगती हैं और कुछ केस में यह परमानेंट विजन लॉस की तरफ भी ले जा सकती है।
मेंटल हेल्थ पर इसका असर कहीं ज्यादा गंभीर है। जब आप सोने से पहले सोशल मीडिया स्क्रॉल कर रहे होते हैं, तो दिमाग शांत नहीं होता, बल्कि और एक्टिव हो जाता है। नकारात्मक खबरें, ट्रोलिंग या रिलेशनशिप पोस्ट्स आपको अनजाने में ही तनाव और चिंता की ओर धकेलती हैं। यही आदत धीरे-धीरे डिप्रेशन, नींद न आना (Insomnia) और भावनात्मक असंतुलन का कारण बनती है।
रात की खराब नींद आपके हार्मोन बैलेंस को भी बिगाड़ देती है। जब शरीर को ठीक से आराम नहीं मिलता, तो ग्रोथ हार्मोन, कोर्टिसोल, और अन्य जरूरी हार्मोन का निर्माण प्रभावित होता है। इससे आपकी त्वचा पर पिंपल्स, वजन बढ़ना, मूड स्विंग, और थकान जैसी समस्याएं आने लगती हैं। यहां तक कि आपका इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है।
सबसे दुखद पहलू यह है कि मोबाइल की यह आदत आपके रिश्तों में भी दरार डाल सकती है। जब आप रात को सोने से पहले मोबाइल में बिजी रहते हैं, तो अपने साथी या परिवार के साथ बातचीत का वक्त खो देते हैं। धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी बढ़ने लगती है और इंसान खुद को अकेला महसूस करने लगता है, जो कई बार सोशल आइसोलेशन तक ले जाता है।
तो अब वक्त आ गया है कि हम इस डिजिटल आदत को खुद पर हावी न होने दें। सोने से कम से कम 30 मिनट पहले मोबाइल से दूरी बनाना, नीली रोशनी को कम करने के लिए नाइट मोड ऑन करना और परिवार के साथ समय बिताना आपकी सेहत और रिश्तों दोनों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।