जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कनाडा के अल्बर्टा राज्य स्थित कैननास्किस में चल रहे G7 समिट का पहला दिन कई बड़ी घटनाओं का गवाह बना। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के इस मंच पर इस बार इजराइल-ईरान विवाद, डोनाल्ड ट्रम्प की समय से पहले वापसी, और यूक्रेन-रूस तनाव जैसे मुद्दों ने समिट के एजेंडे को प्रभावित किया। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी ने वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को भी चर्चा के केंद्र में ला दिया।
समिट के पहले दिन ही G7 देशों ने साझा बयान जारी कर इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया। सभी सदस्य देशों ने एक स्वर में कहा कि “इजराइल को अपनी सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने का अधिकार है” और साथ ही चेतावनी दी कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस बयान से साफ है कि पश्चिमी शक्तियां ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अचानक वापसी ने समिट के पहले दिन राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव को देखते हुए ट्रम्प को तुरंत अमेरिका लौटना पड़ा। हालांकि खुद ट्रम्प ने साफ किया कि वह किसी “सीजफायर” के लिए नहीं लौट रहे हैं, बल्कि मामला उससे कहीं बड़ा है। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “ईरान को न्यूक्लियर समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहिए, मैंने यह बात पहले भी कही थी। ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने चाहिए और हर किसी को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए।”
G7 समिट में ट्रम्प तीन मुद्दों को लेकर चर्चा में रहे। पहला, इजराइल-ईरान विवाद पर उनकी सख्त टिप्पणी कि ईरान यह जंग हार रहा है। दूसरा, उनके कोट पर लगी अमेरिका-कनाडा झंडे की पिन, जिससे एक बार फिर कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की उनकी पुरानी इच्छा चर्चा में आ गई। और तीसरा, रूस की G7 से निष्कासन पर ट्रम्प का बयान कि “G7 पहले G8 हुआ करता था और ओबामा-ट्रूडो की गलती से रूस को बाहर कर दिया गया।”
उधर, समिट में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने शामिल नहीं होने का फैसला किया है। इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रपति सुबियांटो इन दिनों रूस और सिंगापुर की यात्रा पर हैं। वह हाल ही में सिंगापुर के प्रधानमंत्री से मिल चुके हैं और अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात करेंगे।
G7 समिट के दौरान रूस की भूमिका को लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। रूस द्वारा कीव पर किए गए ताजा हमले में 14 नागरिकों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस पर जेलेंस्की ने कहा कि “पुतिन के ये हमले शुद्ध आतंकवाद हैं। यह युद्ध को बढ़ाने की साजिश है। अमेरिका, यूरोप और पूरी दुनिया को इसका जवाब देना होगा।” जेलेंस्की ने समिट में पुतिन की संभावित भागीदारी का खुलकर विरोध किया है।
इस राजनीतिक हलचल के बीच एक बड़ी खबर यह भी रही कि ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच तय द्विपक्षीय बैठक ट्रम्प की अमेरिका वापसी के कारण रद्द हो गई। इस बैठक में यूक्रेन द्वारा अमेरिका से हथियार खरीद और डिफेंस पैकेज पर बातचीत की योजना थी। जेलेंस्की ने वियना में कहा था कि वह इस बैठक में यूक्रेन की ज़रूरतों पर विस्तार से चर्चा करना चाहते थे।
ट्रम्प की वापसी पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बयान दिया कि ट्रम्प वॉशिंगटन “सीजफायर के लिए” लौट रहे हैं, जिस पर ट्रम्प ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा – “मैक्रों को बिल्कुल नहीं पता कि मैं क्यों लौट रहा हूं। और यह निश्चित रूप से किसी सीजफायर से जुड़ा नहीं है। मैक्रों हमेशा गलत बयानी करते हैं, जानबूझकर या अनजाने में।”
इस समिट में भारत की भूमिका भी अहम रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के कैलगरी पहुंचने के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा – “G7 समिट में भाग लेने आया हूं। यहां कई विश्व नेताओं से मुलाकात करूंगा। वैश्विक मुद्दों पर भारत की बात रखूंगा और वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को सामने लाऊंगा।” PM मोदी की इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक प्रस्तावित है। इसके अलावा वे कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से भी मिल सकते हैं।