जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला अब और उलझता जा रहा है। ईडी, लोकायुक्त और आयकर विभाग की टीम पूर्व RTO कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा से लगातार पूछताछ कर रही है, लेकिन सच्चाई अब तक सामने नहीं आई। 17 फरवरी को ईडी ने सौरभ, शरद और चेतन को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 3 मार्च तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। आज ज्यूडिशियल रिमांड खत्म हो गया है और उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भोपाल की कोर्ट में पेश किया गया। जिसके बाद काेर्ट ने उसे फिर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जानकारी के लिए बता दें, पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा से ईडी, लोकायुक्त और आयकर विभाग लगातार पूछताछ कर रहे हैं। बीते 6 दिनों में 6 बार पूछताछ के बावजूद सौरभ और उसके सहयोगी शरद व चेतन ने कैश और सोने से भरी इनोवा कार से किसी भी तरह के संबंध से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, सौरभ ने जांच टीमों को लगातार गुमराह करने की कोशिश की। इससे पहले लोकायुक्त और ईडी की टीमें भी सौरभ से कोई ठोस जानकारी नहीं निकाल पाई थीं। लेकिन इनोवा कार के मालिक चेतन सिंह गौर के बयान ने जांच को नया मोड़ दे दिया। चेतन ने कबूल किया कि कार उसके नाम पर जरूर है, लेकिन उसका असली इस्तेमाल सौरभ करता था।
उल्लेखनीय है कि सौरभ शर्मा दिसंबर 2024 में सुर्खियों में आया, जब ईडी, लोकायुक्त और आयकर विभाग ने उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान भोपाल के मेंडोरी इलाके में एक इनोवा कार से 11 करोड़ रुपये नकद और 52 किलो सोना बरामद हुआ था। जांच एजेंसियों को शक है कि इस काले धन का लिंक सौरभ शर्मा से जुड़ा हुआ है, हालांकि उसने अब तक इसे स्वीकार नहीं किया है। वहीं, लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग की जांच के बाद अब परिवहन विभाग भी सौरभ पर अनुकंपा नियुक्ति में किए गए झूठे दावे को लेकर उसपर शिकंजा कसने को तैयार है।