जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
रीवा के होनहार छात्र शिवांश गुप्ता की रहस्यमयी मौत का मामला अब और गहराता जा रहा है। 5 जून 2025 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरकर हुई इस मौत को पुलिस ने शुरू से ही आत्महत्या बताया, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं। अब यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोक शिकायत विभाग तक पहुंच चुका है, जिसने मध्यप्रदेश सरकार से इस पर जवाब मांगा है। अगर राज्य सरकार सहमति देती है, तो इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है।
शिवांश गुप्ता, नीट 2023 में 700 में से 660 अंक लाकर राज्य में 373वीं रैंक लाने वाला होनहार छात्र था। उसने हाल ही में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में दाखिला लिया था। परिजनों के मुताबिक, मौत से तीन दिन पहले उसने नई बाइक खरीदी थी, जो कुछ सीनियर छात्रों को नागवार गुजरी। यहीं से कथित रैगिंग और मानसिक उत्पीड़न की शुरुआत हुई। परिजनों का आरोप है कि शिवांश को हॉस्टल के बाहर तीन घंटे तक रोका गया, उसके साथ मारपीट हुई और रैगिंग की गई। उसने यह बात अपनी मां को फोन पर बताई थी। इसके बाद वह लगातार मानसिक दबाव में रहने लगा था।
घटना के दिन शिवांश चौथी मंजिल से गिरा मिला, लेकिन घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, और जिस लोकेशन से गिरने की बात कही गई, वहां न तो खून के निशान थे और न ही शरीर पर कोई गहरी चोट। परिवार को शक है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि एक सुनियोजित हत्या थी, जिसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है। मृतक का मोबाइल फोन पुलिस के पास है, लेकिन परिजनों का आरोप है कि वह अनलॉक था और उससे कुछ संदिग्ध मैसेज भेजे गए, जो शिवांश ने नहीं भेजे थे। एक लड़की का नंबर भी मिला है, लेकिन परिवार इसे केवल सामान्य दोस्ती बताकर पुलिस की “दूसरी दिशा में ध्यान भटकाने की कोशिश” बता रहा है।
गढ़ा थाना पुलिस का कहना है कि सभी एंगल से जांच की गई है, रैगिंग सेल की रिपोर्ट में भी रैगिंग की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन जांच अभी भी जारी है और परिजनों से दोबारा बयान लिए जाएंगे। वहीं, मानव अधिकार व अपराध नियंत्रण संगठन, जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. अजय वाधवानी ने गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र भेजकर इस केस की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जबलपुर पुलिस की जांच धीमी और एकतरफा है, जिससे पूरा मामला रफा-दफा होने की आशंका है।
परिजनों का यह भी कहना है कि पुलिस ने न तो कॉल डिटेल्स साझा की और न ही हॉस्टल के सीसीटीवी फुटेज दिखाए। पिता संतोष गुप्ता का साफ आरोप है कि पुलिस सच्चाई से भटका रही है और जानबूझकर लड़की को मामले में घसीट रही है, ताकि असली कारण छिपाया जा सके। इस बीच, शिवांश की मौत के दो महीने बाद भी न तो दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही कोई निष्कर्ष सामने आया।
अब जब मामला केंद्रीय लोक शिकायत विभाग तक पहुंच चुका है, तो उम्मीद जताई जा रही है कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। परिजनों का साफ कहना है – अगर राज्य स्तर से न्याय नहीं मिला, तो वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।