जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही है — आखिर प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा और कब? पिछले पाँच महीनों से संगठन चुनाव की प्रक्रिया अधूरी पड़ी है, जिससे पार्टी के हजारों कार्यकर्ता असमंजस और बेचैनी की स्थिति में हैं।
जनवरी में घोषित हुए थे जिला अध्यक्ष, उसके बाद बूथ और मंडल समितियों का गठन पूरा हुआ। लेकिन जहाँ फरवरी तक प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा होनी थी, वहां अब जून आ गया है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। कार्यकर्ताओं को हर सप्ताह नई तारीखों का इंतज़ार कराया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक निर्णय सामने नहीं आया है।
क्यों अटका हुआ है प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव?
दरअसल, जब मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में जिला अध्यक्षों की घोषणा हो रही थी, तभी राष्ट्रीय स्तर पर संगठन चुनावों को लेकर पेच फंस गया। इसके बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव, केंद्रीय नेतृत्व की व्यस्तता, और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले जैसे कारणों से प्रक्रिया लगातार टलती चली गई। इस देरी से न केवल संगठन में अनिश्चितता बनी हुई है, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं का जोश और मनोबल भी प्रभावित हो रहा है।
अब उम्मीद कब?
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कार्यक्रम 16 जून के बाद घोषित हो सकता है। दरअसल, 14 से 16 जून तक पचमढ़ी में विधायकों और सांसदों का प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया है, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस वर्ग के बाद ही चुनाव की अंतिम तारीखों की घोषणा होगी।
संगठन चुनाव पर्यवेक्षक का दौरा
इसी क्रम में 6 जून को बीजेपी के राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी डॉ. के. लक्ष्मण और प्रदेश संगठन चुनाव पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान मध्यप्रदेश दौरे पर रहे। लक्ष्मण ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कीं और संगठनात्मक मसलों पर चर्चा की। धर्मेंद्र प्रधान उज्जैन के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद दिल्ली लौट गए।
वीडी शर्मा का कार्यकाल एक्सटेंशन पर
वर्तमान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को 5 साल 3 महीने से अधिक का समय हो चुका है। उनका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है और फिलहाल वह एक्सटेंशन पर हैं। इससे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को भी लोकसभा चुनावों तक कार्यकाल विस्तार मिला था।
कौन-कौन हैं रेस में?
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नाम सुर्खियों में हैं। अगर परंपरागत जातीय समीकरण को देखा जाए — जिसमें मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से और अध्यक्ष सामान्य वर्ग से रहा है — तो हेमंत खंडेलवाल, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, रामेश्वर शर्मा, अरविंद भदौरिया, आलोक शर्मा और सुधीर गुप्ता जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
लेकिन हालिया चर्चाओं में यह भी सामने आया है कि प्रदेश में ओबीसी सीएम, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वर्ग के उप मुख्यमंत्री, और ठाकुर वर्ग के विधानसभा अध्यक्ष के बाद अब पार्टी नेतृत्व आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रहा है। इस आधार पर खरगोन सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल, मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, और विधायक कुंवर सिंह टेकाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय जितना टलता जा रहा है, उतनी ही संगठनात्मक अस्थिरता महसूस की जा रही है। चुनावी दृष्टि से यह देरी 2028 विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी असर डाल सकती है। बीजेपी का आमतौर पर संगठनात्मक ढांचा बहुत मज़बूत माना जाता है, लेकिन इस बार शीर्ष नेतृत्व की अनिर्णय की स्थिति पार्टी के कैडर को असहज कर रही है। अब देखना यह है कि क्या 16 जून के बाद पार्टी कोई निर्णायक घोषणा करेगी या यह सस्पेंस और लंबा खिंचेगा?