दिल्ली-NCR से आवारा कुत्ते हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट फिर कर सकता है पुनर्विचार, CJI बोले – “मैं देखूंगा”; 11 अगस्त को कोर्ट ने कहा था – कुत्तों को पकड़ो, नसबंदी करो, शेल्टर भेजो!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश पर फिर से विचार करने के संकेत मिले हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) की याचिका पर सुनवाई के दौरान NGO की सचिव ननीता शर्मा की मांग पर प्रतिक्रिया दी। शर्मा ने मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि मौजूदा आदेश पहले के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से टकराता है। उन्होंने मई 2024 में जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें आवारा कुत्तों की अंधाधुंध हत्या को रोकने और उनके प्रति दया दिखाने को संवैधानिक मूल्य बताया गया था। इसके विपरीत, 11 अगस्त 2025 को जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने डॉग बाइट्स और रेबीज के मामलों में वृद्धि को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर आवासीय क्षेत्रों से हटाकर स्थायी शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने नगर निकायों को निर्देश दिए थे कि कुत्तों को पकड़ने, नसबंदी कराने और शेल्टर में रखने की प्रक्रिया में कोई रुकावट न हो। साथ ही चेतावनी दी गई थी कि इसमें बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। यह सख्ती जुलाई 2025 में तब आई जब सुप्रीम कोर्ट ने खुद नोटिस लेकर इस मुद्दे पर संज्ञान लिया था। लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, 2024 में देशभर में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट्स के मामले सामने आए और 54 लोगों की मौत रेबीज से हुई। दिल्ली में छह वर्षीय बच्ची छवि शर्मा की जून 2024 में डॉग बाइट के बाद मौत ने इस बहस को और तेज कर दिया था।

इस मुद्दे ने राजनीति में भी गर्मी ला दी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस आदेश को “मानवीय और वैज्ञानिक नीति से पीछे जाने वाला कदम” बताया और कहा कि आवारा कुत्तों को समस्या के रूप में नहीं, बल्कि जिम्मेदारी के साथ देखने की जरूरत है। प्रियंका गांधी ने भी इसे “बेहद अमानवीय” बताया और कहा कि पर्याप्त शेल्टर सुविधाओं के बिना ऐसे फैसले से जानवरों के साथ क्रूरता बढ़ेगी। वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में लगभग तीन लाख आवारा कुत्तों को हटाने के लिए हजारों शेल्टर होम बनाने होंगे, क्योंकि अधिक संख्या में कुत्तों को एक साथ रखना संभव नहीं है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए मिलने वाले फंड की व्यवस्था बदलने की मांग की। उनका सुझाव है कि नगर निकायों के बजाय सीधे अनुभवी पशु कल्याण संगठनों और एनजीओ को यह धनराशि दी जाए, ताकि पशु जन्म नियंत्रण (ABC) और शेल्टर प्रबंधन अधिक प्रभावी तरीके से हो सके।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो 2019 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ओडिशा में प्रति 1,000 लोगों पर 39.7 कुत्तों का अनुपात सबसे ज्यादा है, जबकि लक्षद्वीप और मणिपुर में एक भी आवारा कुत्ता नहीं है। दुनिया में नीदरलैंड्स ऐसा देश है जिसने पूरी तरह से आवारा कुत्तों की समस्या खत्म कर दी है—यहां इसे कानून, नसबंदी और गोद लेने की योजनाओं के जरिए हासिल किया गया।

अब सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट अपने हालिया आदेश पर क्या रुख अपनाता है। CJI गवई का “मैं देखूंगा” कहना इस बात का संकेत हो सकता है कि कोर्ट दोनों बेंचों के परस्पर विरोधी आदेशों को देखते हुए मामले की गहन सुनवाई करेगा।

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