जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कर्नाटक में दो अलग-अलग CET एग्जाम सेंटरों पर हुई घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बीदर जिले के साई स्पूर्थी पीयू कॉलेज में 17 अप्रैल को एक स्टूडेंट सुचिव्रत कुलकर्णी से परीक्षा में बैठने से पहले उसका ‘जनेऊ काटने या उतारने’ को कहा गया। जब छात्र ने ऐसा करने से इनकार किया, तो 45 मिनट तक गुहार लगाने के बावजूद उसे एग्जाम देने की अनुमति नहीं दी गई। मजबूर होकर उसे परीक्षा छो़ड़कर घर लौटना पड़ा।
इसी तरह का मामला शिवमोगा जिले से भी सामने आया, जहां तीन छात्रों से जनेऊ उतारने को कहा गया। दो छात्रों ने दबाव में आकर इसे उतार दिया, जबकि एक छात्र को परीक्षा में प्रवेश ही नहीं मिला। इन घटनाओं के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया। इन घटनाओं के सामने आने के बाद भारी विरोध हुआ और कर्नाटक ब्राह्मण महासभा ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली है।
जिसके बाद, बीदर प्रकरण में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्रशेखर बिरादर और स्टाफ मेंबर सतीश पवार को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि, परीक्षा केंद्र कर्मचारियों ने दावा किया कि उन्होंने किसी से भी “धार्मिक धागा” उतारने को नहीं कहा बल्कि सिर्फ कलाई पर बंधे धागे को हटाने की बात की थी। इस बयान के बाद विवाद और गहरा गया क्योंकि छात्रों के अनुसार उन्हें उनके जनेऊ (पवित्र उपवीत धारण) के कारण रोका गया था।
इस घटना की निंदा करते हुए शिवमोगा से भाजपा सांसद बीवाई राघवेंद्र ने कहा कि ये एक अत्यंत अन्यायपूर्ण घटना है। चाहे ये जानबूझकर हुआ हो या नहीं, सरकार को इस पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। यह हिंदू आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि आखिर एक छात्र की धार्मिक पहचान उसकी शिक्षा में बाधा क्यों बन रही है?
कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एमसी सुधाकर ने घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि राज्य सरकार सभी धर्मों और उनकी आस्थाओं का सम्मान करती है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अब तक कर्नाटक एग्जामिनेशन अथॉरिटी (KEA) की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।