लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ मध्यप्रदेश में किसानों का जोरदार प्रदर्शन: किसानों की मांग – लैंड पूलिंग एक्ट वापस हो, गेहूं-धान की खरीदी तय दरों पर की जाए; भोपाल में CM मोहन यादव बोले – “संवाद ही समाधान का रास्ता है”

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में लैंड पूलिंग एक्ट और कृषि से जुड़े मुद्दों को लेकर भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में सोमवार को पूरे प्रदेश में किसानों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों पर किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। वहीं, राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संवाद की राह अपनाने का संदेश दिया और कहा कि सरकार विकास कार्यों को सबके हित में आगे बढ़ाते हुए किसानों से चर्चा कर समाधान निकालेगी।

जबलपुर और टीकमगढ़ में रैली का प्रदर्शन

जबलपुर में किसान कृषि उपज मंडी से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर रैली निकालते हुए घंटाघर पहुंचे। इस दौरान किसानों ने जमकर नारेबाजी की और ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। रैली मार्ग पर सुरक्षा को लेकर पुलिस ने दमोह नाका, रानीताल, यातायात चौक, तीन पत्ती चौक और नौदरा ब्रिज से घंटाघर तक बैरिकेडिंग की और अतिरिक्त बल तैनात किया।
टीकमगढ़ में भी किसानों ने दोपहर 1 बजे से ट्रैक्टर रैली शुरू की। सैकड़ों किसानों की मौजूदगी के चलते शहर में कई जगह ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हुई।

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों ने लैंड पूलिंग एक्ट को तुरंत वापस लेने की मांग के साथ कई अन्य मुद्दे भी सरकार के सामने रखे। मुख्य मांगें इस प्रकार रहीं—

  • लैंड पूलिंग एक्ट को समाप्त किया जाए।

  • यूरिया और डीएपी सहित खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

  • खाद-बीज की कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त कार्रवाई हो।

  • धान, गेहूं, मूंग और उड़द का रुका हुआ भुगतान तुरंत किसानों को मिले।

  • गेहूं 2700 रुपए और धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जाए।

  • कृषि विभाग में तीन साल से अधिक समय से पदस्थ अधिकारियों का तबादला हो और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

मुख्यमंत्री का बयान – “संवाद ही समाधान का रास्ता”

राजधानी भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से जब किसान आंदोलन और लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य किसानों और सभी हितधारकों से संवाद करते हुए विकास को आगे बढ़ाना है। सीएम ने कहा— “लैंड पूलिंग हो या अन्य विकास कार्य, हम सबके हित में संवाद की राह अपनाते हुए निर्णय लेते हैं। प्रदेश के विकास के क्रम को बनाए रखते हुए सभी को साथ लेकर चलना ही हमारी प्राथमिकता है।”

बता दें, उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ के लिए भूमि अधिग्रहण और लैंड पूलिंग स्कीम सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है। भारतीय किसान संघ का आरोप है कि सिंहस्थ क्षेत्र के 17 गांवों की जमीन स्थायी अधिग्रहण के दायरे में लाई जा रही है, जिससे किसान अपनी पैतृक भूमि से वंचित हो जाएंगे। सोमवार को उज्जैन समेत कई जिलों में किसानों ने इस मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा, वहीं मंगलवार को उज्जैन में करीब 500 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ विशाल रैली निकाली जाएगी। इस रैली में किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र भी शामिल होंगे और आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे।

प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन – राष्ट्रीय स्तर की मांगें

प्रदेशभर में किसानों ने जो ज्ञापन सौंपा है, उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी कई मांगें भी शामिल हैं। इनमें कृषि व्यवस्था से जुड़े व्यापक मुद्दों पर ध्यान दिलाया गया है:

  • बीज, खाद, दवाई और कृषि यंत्रों पर जीएसटी पूरी तरह समाप्त किया जाए।

  • फसलों की आयात-निर्यात नीति किसानों के हित में बने, फसल तैयार होने पर अनावश्यक आयात न हो।

  • जीएम (जीन परिवर्तित) बीजों को देश में अनुमति न दी जाए।

  • कपास पर हटाए गए आयात शुल्क को फिर से लागू किया जाए।

  • भूमि अधिग्रहण केवल राष्ट्रीय महत्व और विकास परियोजनाओं के लिए ही हो और इसके लिए पूरे देश में एक समान कानून बने।

  • कृषि ऋण और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी बने, बैंक अधिकारियों की मनमानी पर कार्रवाई हो।

  • खेती में प्रयुक्त डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।

  • हर ग्राम पंचायत में वर्षा मापक यंत्र लगाया जाए।

  • हर जिले में कृषि कॉलेज खोले जाएं और स्कूली स्तर से ही कृषि शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।

  • सभी फसलों की खरीदी पूरे साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर हो।

  • किसान सम्मान निधि को महंगाई के अनुरूप बढ़ाकर ₹10,000 प्रति हेक्टेयर किया जाए।

  • जैविक खेती करने वाले किसानों को भी खाद सब्सिडी के बराबर प्रोत्साहन दिया जाए।

  • फसल बीमा योजना में सैटेलाइट सर्वे की जगह फिर से खेत स्तर पर प्रत्यक्ष आकलन (नेत्रांकन) किया जाए।

  • किसानों को ₹5 लाख तक का कृषि ऋण (KCC) उपलब्ध कराया जाए।

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