जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
गुना जिले के राघौगढ़ क्षेत्र में सोमवार का दिन एक दर्दनाक हादसे की गवाही बन गया। इलाके में वर्षों से “सर्प मित्र” के नाम से पहचाने जाने वाले 42 वर्षीय दीपक महावर की एक विषैले सांप के काटने से मौत हो गई। जो व्यक्ति सालों तक दूसरों की जान बचाने के लिए ज़हर से खेलता रहा, उसकी खुद की जिंदगी उसी ज़हर के कारण थम गई।
दीपक महावर पेशे से सांप पकड़ने वाले विशेषज्ञ थे और जेपी कॉलेज में भी इसी जिम्मेदारी पर तैनात थे। उन्हें जब भी किसी घर, खेत या स्कूल में सांप दिखता, लोग सबसे पहले दीपक को ही याद करते थे। वे सांपों को मारते नहीं थे, बल्कि उन्हें सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ देते थे। सोमवार दोपहर भी उन्हें ऐसा ही एक कॉल आया—बरबटपुरा गांव से, जहाँ एक साँप दिखाई दिया था। दीपक बिना समय गंवाए वहाँ पहुँचे और अपनी विशेषज्ञता से सांप को पकड़ लिया।
लेकिन उसी वक्त उन्हें स्कूल से फोन आया कि उनके 13 वर्षीय बेटे की छुट्टी हो गई है। एक जिम्मेदार पिता की तरह, उन्होंने बिना देरी किए साँप को एक कपड़े में लपेटकर अपने गले में ही लटका लिया और बाइक से बेटे को लेने स्कूल पहुँच गए।
स्कूल से बेटे को लेकर जैसे ही वे घर के रास्ते निकले, उसी दौरान गले में लटके सांप ने अचानक दीपक के हाथ में काट लिया। ज़हर का असर तेजी से फैलने लगा। दीपक ने तत्काल समझ लिया कि हालात गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने तुरंत अपने एक साथी को बुलाया और खुद को राघौगढ़ अस्पताल ले गए। वहाँ से उन्हें गुना जिला अस्पताल रेफर किया गया। इलाज शुरू हुआ, राहत भी मिली और शाम तक वे घर लौट आए।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई… रात करीब 12 बजे, दीपक की तबीयत अचानक फिर बिगड़ गई। घबराए परिजन उन्हें फिर से जिला अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार सुबह उनका शव परिजनों को सौंपा गया। जैसे ही यह खबर इलाके में फैली, पूरे राघौगढ़ और आसपास के गाँवों में शोक की लहर दौड़ गई।
दीपक महावर न केवल एक सर्प मित्र थे, बल्कि इंसानियत की मिसाल भी थे। उन्होंने सैकड़ों परिवारों को सांपों से मुक्ति दिलाई, लेकिन अंत में वह सांप जिसने सैकड़ों बार दूसरों के लिए खतरनाक साबित होने से पहले ही पकड़ा गया, उसने ही दीपक की जान ले ली।