Shashankasana Yoga Benefits: मन को शांत, रीढ़ को मजबूत और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने वाला आसन

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

आज की भागदौड़ और तनाव से भरी जिंदगी में अगर कोई चीज इंसान को भीतर से शांत कर सकती है, तो वह है योग। योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य का ही माध्यम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक संतुलन का भी स्रोत है। ऐसे में हम एक ऐसे योगासन के बारे में बात कर रहे हैं, जो वर्तमान समय में वरदान साबित हो रहा है। यह आसन है – ‘शशांकासन’, जिसे आम बोलचाल में ‘खरगोश मुद्रा’ भी कहा जाता है।

शशांकासन एक बेहद सरल और प्रभावी योग मुद्रा है। यह न केवल रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, बल्कि मन को शांत करने, तनाव और चिंता को कम करने तथा एकाग्रता बढ़ाने में भी कारगर है। इस आसन में शरीर की आकृति एक खरगोश जैसी बन जाती है, इसीलिए इसे “खरगोश मुद्रा” नाम दिया गया है।

 शशांकासन करने का सही तरीका

इस योगासन को करने के लिए पहले वज्रासन में बैठ जाएं। घुटनों को मोड़कर नितंबों को एड़ियों पर टिका लें। अपनी रीढ़ को सीधा रखें और दोनों हाथ घुटनों पर हल्के से रखें। कंधों को ढीला रखें और सामान्य गति से सांस लें। इसके बाद गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं, हथेलियां एक-दूसरे की ओर होनी चाहिए।

अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं और प्रयास करें कि आपका माथा जमीन से टच करे। इस स्थिति में दोनों हाथों को आगे की ओर ज़मीन पर फैलाएं, हथेलियां नीचे की ओर रहें। पेट जांघों से सटा होना चाहिए और नितंब एड़ियों पर टिके रहना चाहिए। इसी मुद्रा में शरीर एक खरगोश जैसी आकृति में आ जाता है, जो इस आसन का मूल रूप है।

 इस मुद्रा में कितनी देर रहें?

शशांकासन की स्थिति में 20 से 30 सेकंड तक रह सकते हैं। यदि संभव हो तो अपनी सहजता के अनुसार समय बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान गहरी और सामान्य सांस लें, आंखें बंद कर लें और ध्यान श्वास पर केंद्रित करें। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर को ऊपर उठाएं और वापिस वज्रासन में आ जाएं। कुछ सेकंड सामान्य सांस लें और आवश्यकता हो तो इस अभ्यास को दो-तीन बार दोहराएं।

  शशांकासन के फायदे

  1. रीढ़ को बनाता है मजबूत और लचीला – इससे पीठ दर्द में आराम मिलता है और मुद्रा सुधारने में मदद मिलती है।

  2. मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है – जिससे तनाव, चिंता और माइग्रेन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

  3. पाचन तंत्र को करता है बेहतर – पेट पर हल्का दबाव पड़ने से कब्ज और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं।

  4. मानसिक एकाग्रता और ध्यान बढ़ाता है – यह योगासन मेडिटेशन का अच्छा विकल्प है।

  5. घुटनों और टखनों को मजबूती मिलती है – वज्रासन की स्थिति में बैठने से इन जोड़ों पर सकारात्मक असर पड़ता है।

  6. हार्मोनल बैलेंस में मदद – यह आसन पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है, जो हार्मोनल संतुलन में सहायक हैं।

 किन लोगों को बरतनी चाहिए सावधानी?

  • गर्भवती महिलाओं को इस आसन से परहेज करना चाहिए।

  • यदि घुटनों, पीठ या गर्दन में दर्द हो, तो बिना विशेषज्ञ की सलाह के यह आसन न करें।

  • हाई ब्लड प्रेशर, चक्कर आने की समस्या या किसी भी हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्ति को विशेष सतर्कता रखनी चाहिए।

 कब और कैसे करें अभ्यास?

शशांकासन का अभ्यास सुबह के समय खाली पेट करना सबसे अधिक लाभकारी होता है। इससे पहले हल्की स्ट्रेचिंग या सूर्य नमस्कार कर सकते हैं ताकि शरीर तैयार हो जाए। इसे अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने से ही इसके पूर्ण लाभ मिलते हैं।

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