“शरबत जिहाद” विवाद ने पकड़ा तूल: अभी भी यूट्यूब से नहीं हटा विडियो, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जताई नाराजगी; अगली सुनवाई 9 मई को!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

योग गुरु बाबा रामदेव एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार मामला किसी योगासन या एलोपैथी विरोधी टिप्पणी का नहीं, बल्कि एक शरबत को लेकर है। 3 अप्रैल को पतंजलि शरबत के लॉन्चिंग कार्यक्रम में रामदेव ने रूह अफजा शरबत का नाम लिए बिना उसे “शरबत जिहाद” से जोड़ते हुए कहा कि “एक कंपनी शरबत बनाती है और उससे जो पैसा आता है, उससे मदरसे और मस्जिदें बनती हैं।” यही नहीं, उन्होंने दावा किया कि पतंजलि का शरबत पीने से गुरुकुल, आचार्यकुलम और भारतीय शिक्षा का विकास होगा। इस बयान के बाद देश में सियासी, धार्मिक और कानूनी भूचाल आ गया।

दिल्ली हाईकोर्ट में दो दिन तक गरम माहौल, कोर्ट ने कहा—रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं

इस विवादित बयान पर रूह अफजा बनाने वाली हमदर्द कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें बाबा रामदेव के खिलाफ धार्मिक आधार पर घृणा फैलाने और व्यवसायिक मानहानि की बात कही गई। शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई में हमदर्द ने कोर्ट को बताया कि रामदेव का वीडियो यूट्यूब से हटाया नहीं गया, बल्कि सिर्फ प्राइवेट किया गया है। इसका मतलब यह है कि वीडियो अभी भी चैनल के सब्सक्राइबर्स देख सकते हैं।

रामदेव के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि अदालत द्वारा तय की गई 24 घंटे की समयसीमा के भीतर वीडियो हटा दिया जाएगा। लेकिन हमदर्द ने यह भी दावा किया कि वही वीडियो आस्था चैनल पर बार-बार प्रसारित किया जा रहा है, जिससे करोड़ों दर्शकों तक यह संदेश लगातार पहुंच रहा है। अदालत ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी जताई और यहां तक कहा कि “रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं, वे अपनी ही दुनिया में जीते हैं।” इस मामले की अगली सुनवाई अब 9 मई को होगी।

 हमदर्द कंपनी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि रामदेव ने जानबूझकर धार्मिक समुदाय विशेष को निशाना बनाते हुए अपने प्रोडक्ट का प्रचार किया है। उन्होंने ‘शरबत जिहाद’ जैसी अपमानजनक और भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया, जो सीधे तौर पर धार्मिक विभाजन को हवा देती है। रोहतगी ने कहा कि रामदेव का नाम मशहूर है और वह बिना किसी प्रतिस्पर्धी ब्रांड को बदनाम किए अपने प्रोडक्ट को नहीं बेच सकते। यह बयान किसी एक ब्रांड पर नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय पर हमला है।

उन्होंने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापनों के लिए माफी मांगने के आदेश की भी याद दिलाई और कहा कि पतंजलि पहले भी कई बार लोगों को गलत जानकारी देकर भ्रमित कर चुका है।

रामदेव की दो वीडियो—दोनों में भड़काऊ बातें

बाबा रामदेव ने पतंजलि के शरबत के प्रचार के दौरान दो वीडियो साझा किए। पहले वीडियो में उन्होंने कहा कि “एक शरबत कंपनी मदरसों और मस्जिदों के लिए पैसा देती है। अगर आप उनका शरबत पिएंगे तो मस्जिदें बनेंगी, लेकिन अगर आप पतंजलि का शरबत पिएंगे तो गुरुकुल और भारतीय संस्थाएं विकसित होंगी। ये शरबत जिहाद है।”

दूसरे वीडियो में जब विवाद बढ़ा तो रामदेव ने कहा, “मैंने एक वीडियो डाला, जिससे सबको मिर्ची लग गई। हजारों लोग मेरे खिलाफ वीडियो बना रहे हैं, लेकिन मैं सच्चाई से पीछे नहीं हटूंगा। लव जिहाद, लैंड जिहाद, वोट जिहाद के साथ-साथ शरबत जिहाद भी हकीकत है। मैं नहीं कहता कि वो आतंकवादी हैं, लेकिन उनकी इस्लाम के प्रति निष्ठा जरूर है।”

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