जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह के विवादित बयान मामले में सोमवार, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। लेकिन जस्टिस जे. सूर्यकांत की डबल बेंच न बैठने की वजह से यह सुनवाई फिलहाल टल गई। अब मामले की सुनवाई के लिए नई तारीख तय की जाएगी।
इस केस में सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे चुका है। साथ ही, मंत्री शाह की ओर से दी गई माफी पर भी अदालत में बहस होनी थी।
कोर्ट ने कहा – माफी निष्ठाहीन
दरअसल, पिछली सुनवाई 28 जुलाई को हुई थी। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच (जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची) ने विजय शाह की सार्वजनिक माफी को “निष्ठाहीन” बताते हुए खारिज कर दिया था।
जस्टिस सूर्यकांत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था – “आप आत्मचिंतन करें कि अपनी सजा कैसे चुकाएंगे। आपकी वह सार्वजनिक माफी कहां है? आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। जांच के नाम पर आखिर किया क्या गया है?”
क्या है पूरा मामला?
बता दें, 11 मई 2025 को इंदौर के महू स्थित रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में मंत्री विजय शाह ने “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान दिया था।
उन्होंने कहा था – “उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर लिया जा सकता है।” इस बयान के बाद विरोध शुरू हुआ और मामला अदालत तक पहुंच गया।
बता दें, विजय शाह अब तक तीन अलग-अलग मौकों पर माफी मांग चुके हैं –
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13 मई – “सोफिया बहन देश का मान-सम्मान बढ़ाती हैं, यदि मुझसे गलती हुई तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं।”
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14 मई – “मेरे बयान से किसी समाज की भावना आहत हुई हो तो मैं दिल से खेद व्यक्त करता हूं।”
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23 मई – “मेरे शब्दों से देशवासियों को ठेस पहुंची है। मैं सभी से क्षमा मांगता हूं और भविष्य में इस तरह की भूल न हो, इसका संकल्प लेता हूं।”
इसके बावजूद कोर्ट ने माना कि इन माफीनामों में जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने की स्पष्ट स्वीकारोक्ति नहीं है।
वहीं, कांग्रेस की महिला नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विजय शाह को पद से हटाने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को सुनने से इंकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका में जो उदाहरण दिए गए हैं, SIT को उन पर गौर करना चाहिए और अपनी विस्तृत रिपोर्ट में शामिल करना चाहिए। अब अगली सुनवाई के लिए नई तारीख तय होगी। अदालत SIT की स्टेटस रिपोर्ट और शाह की ओर से दिए गए माफीनामे पर अपना रुख साफ करेगी।
पूरे केस की अब तक की कार्यवाही
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11 मई – महू के रायकुंडा गांव में बयान दिया गया।
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13 मई – भाजपा संगठन ने शाह को फटकार लगाई, शाह ने पहली बार माफी मांगी।
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14 मई – हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
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14 मई रात 11 बजे – इंदौर के मानपुर थाने में FIR दर्ज।
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15 मई – हाईकोर्ट ने FIR की भाषा पर नाराजगी जताई।
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16 मई – हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती।
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17 मई – सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, अगली तारीख 19 मई तय।
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19 मई – सुप्रीम कोर्ट ने माफी खारिज की, SIT गठित करने का आदेश।
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19 मई – MP DGP ने SIT गठित की।
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28 मई – कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने कैविएट दाखिल की।
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19 जुलाई – मंत्री विजय शाह को SIT के सामने पेश होने का आदेश।
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23 जुलाई – जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, कोर्ट ने खारिज कर दी।
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28 जुलाई – शाह की माफी को सुप्रीम कोर्ट ने “निष्ठाहीन” कहा।