भोपाल-इंदौर मेट्रो पर सुरक्षा ब्रेक: तुर्की की ‘असिस गार्ड’ पर सियासी घमासान, विजयवर्गीय बोले- होगी निष्पक्ष जांच; 31 मई को PM मोदी दिखा सकते हैं हरी झंडी

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के दो प्रमुख शहरों — भोपाल और इंदौर में चल रही मेट्रो परियोजना पर अब विवादों की परतें चढ़ने लगी हैं। मेट्रो स्टेशनों पर ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFC) लगाने वाली तुर्किये की कंपनी ‘असिस गार्ड’ अब विवादों के घेरे में है। इस कंपनी ने पिछले साल 186.52 करोड़ रुपए के टेंडर पर भोपाल और इंदौर के कुल 53 मेट्रो स्टेशनों में किराया वसूली की ऑटोमैटिक प्रणाली लगाने का जिम्मा लिया था। लेकिन अब यही कंपनी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को लेकर बहस का केंद्र बन गई है।

विवाद तब गहराया जब मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री डॉ. मोहन सरकार में कैलाश विजयवर्गीय ने 19 मई की शाम 6:58 बजे ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से ‘असिस गार्ड’ पर भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है, और जो भी भारत की संप्रभुता के खिलाफ खड़ा होगा, उसके साथ कोई सहानुभूति नहीं बरती जाएगी। विजयवर्गीय ने अपने पोस्ट में लिखा कि संबंधित अधिकारियों को कंपनी की भूमिका की गहन एवं निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए हैं। अगर यह साबित होता है कि कंपनी के भारत विरोधी तत्वों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध हैं, तो उसका अनुबंध तत्काल रद्द किया जाएगा।

दरअसल, यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को भोपाल से इंदौर मेट्रो के कॉमर्शियल रन को हरी झंडी दिखाने वाले हैं। इंदौर में मेट्रो का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है और कई स्टेशनों पर ‘असिस’ द्वारा लगाए गए सिस्टम सक्रिय हो चुके हैं। भोपाल में भी 5 स्टेशनों — सुभाष नगर, डीबी मॉल, एमपी नगर, रानी कमलापति और केंद्रीय स्कूल — पर सिस्टम स्थापित कर दिए गए हैं, और 3 अन्य पर काम अंतिम चरण में है। इंदौर में भी गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर-3 तक 5 स्टेशनों पर इंस्टॉलेशन पूरा हो चुका है।

लेकिन अब जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है, वह है असिस गार्ड का मिलिट्री बैकग्राउंड और ड्रोन कनेक्शन। यह कंपनी तुर्किये की एक प्रमुख डिफेंस टेक्नोलॉजी फर्म है, जो ड्रोन, बॉर्डर सिक्योरिटी सिस्टम और सैन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाती है। इसके ‘सोंगर’ नामक ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा 9 और 10 मई को भारतीय सीमा के पास किया गया। केंद्र सरकार ने पुष्टि की है कि ये ड्रोन तुर्किये स्थित ‘असिस गार्ड’ द्वारा बनाए गए हैं। इन ड्रोन में अत्याधुनिक हथियार जैसे 40 मिमी ग्रेनेड लॉन्चर, मोर्टार, आंसू गैस कनस्तर आदि लगाए जा सकते हैं, और ये 400-450 मीटर की प्रभावी रेंज में हमला करने में सक्षम हैं।

मंत्री विजयवर्गीय के अनुसार, यह अत्यंत गंभीर मामला है कि जो कंपनी भारत की मेट्रो परियोजनाओं में कार्यरत है, उसी के बनाए ड्रोन का उपयोग पाकिस्तान द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों में किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इस कंपनी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है, तो अनुबंध को रद्द किया जाएगा और राष्ट्र की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा

वहीं दूसरी ओर, मेट्रो कॉर्पोरेशन और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह स्थिति बेहद जटिल हो गई है। एक साल पहले हुए इंटरनेशनल टेंडर में असिस गार्ड सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी थी। उसने 230 करोड़ रुपए के टेंडर के मुकाबले 186 करोड़ की बोली लगाकर टेंडर जीता था, जबकि दूसरे नंबर की कंपनी एनईसी इंडिया ने 204 करोड़ रुपए की पेशकश की थी। अब जबकि कंपनी 10 स्टेशनों पर काम कर चुकी है, अगर उसका कांट्रैक्ट रद्द किया जाता है तो भोपाल और इंदौर मेट्रो का भविष्य संकट में आ सकता है।

सूत्रों के अनुसार, यदि कांट्रैक्ट निरस्त होता है तो दोबारा इंटरनेशनल टेंडर की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, जिसमें कम से कम 6 महीने लग सकते हैं। ऐसे में 31 मई को प्रस्तावित मेट्रो का कॉमर्शियल रन भी स्थगित होना तय है। फिलहाल सरकार की ओर से इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन मंत्रालय में लगातार बैठकें हो रही हैं और इस संवेदनशील मामले पर उच्च स्तर पर विचार-विमर्श जारी है।

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