300वीं जयंती पर देवी अहिल्या को नमन: 79 साल बाद इंदौर बना कैबिनेट बैठक का साक्षी, राजवाड़ा को परंपरागत और आधुनिक सजावट से किया गया सुसज्जित!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की राजनीति और सांस्कृतिक गरिमा को आज एक ऐतिहासिक स्वरूप मिला, जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक इंदौर के राजवाड़ा स्थित गणेश हॉल में आयोजित की गई। यह स्थान न केवल मराठा गौरव का प्रतीक है, बल्कि देवी अहिल्या बाई होल्कर की राजधर्म परंपरा का भी साक्षी रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर को और अधिक भावनात्मक और गौरवशाली बना दिया देवी अहिल्या की प्रतिमा की उपस्थिति ने, जिसे मुख्यमंत्री से भी आगे स्थान देकर उनके प्रति आदरभाव प्रकट किया गया।

बैठक की शुरुआत देवी अहिल्या की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। मुख्यमंत्री और कुछ मंत्री परंपरागत धोती-कुर्ता और भगवा दुपट्टा धारण किए हुए एक सांस्कृतिक वातावरण में बैठक स्थल पर पहुंचे। पूरे हॉल को पारंपरिक और गरिमामय स्वरूप में सजाया गया था, जहां मंत्रियों के ओएसडी और अधिकारियों को सुरक्षा जांच के बाद एंट्री दी गई। यह जानकारी भी गौरव का विषय है कि राजवाड़ा में आखिरी बार मंत्री परिषद की बैठक वर्ष 1945 में आयोजित हुई थी, जब तत्कालीन शासक यशवंतराव तृतीय ने यहाँ बैठक बुलाई थी। करीब 79 साल बाद इस ऐतिहासिक स्थल ने एक बार फिर से शासन की धड़कनों को महसूस किया, और यह क्षण निश्चित ही इतिहास में दर्ज किया जाएगा।

क्यों खास है ये कैबिनेट बैठक?

बता दें, बैठक का आयोजन देवी अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती वर्ष को चिरस्थायी स्मृति बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इंदौरवासियों के लिए यह केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि मालवा की आत्मा से जुड़ा जश्न है। राजवाड़ा को परंपरागत और आधुनिक सजावट से सुसज्जित किया गया है। पुष्प, दीप, रंग-बिरंगी लाइटिंग और मालवी संस्कृति के प्रतीक अलंकरण इसे किसी राजसी उत्सव जैसा स्वरूप दे रहे हैं।

  • मालवी स्वाद और सत्कार का तड़का:

मंत्रीगण और अतिथियों के स्वागत की व्यवस्था मालवी रीति-रिवाजों के अनुरूप की गई है। राजसी भोज की व्यवस्था प्रथम तल पर है, जहाँ परोसे जाएंगे दाल-बाटी, मावा बाटी, दही बड़ा जैसे पारंपरिक व्यंजन। यह केवल भोजन नहीं, मालवा की मिट्टी की महक और उसके स्वाद का उत्सव होगा।

  • सुरक्षा और व्यवस्था – कोई कोताही नहीं:

राजवाड़ा परिसर में एक अस्थायी सचिवालय स्थापित किया गया है जहाँ सभी प्रशासनिक गतिविधियाँ संचालित होंगी। सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। वरिष्ठ अफसरों को ट्रैफिक, सुरक्षा, आवास और स्वागत की अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं।

  •  दर्शन और प्रेरणा की प्रदर्शनी:

बैठक के साथ-साथ दो विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई हैं। पहली प्रदर्शनी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और कार्यों पर आधारित है जिसमें उनके सुशासन, धार्मिक सहिष्णुता और लोकसेवा के दृश्य चित्रों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है। दूसरी प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश सरकार की योजनाओं और अहिल्या दर्शन से प्रेरित कार्यों को दर्शाया गया है—महिला सशक्तिकरण, न्याय, जनकल्याण और लोकसेवा की झलक इसमें दिखाई देती है।

  • राजवाड़ा को नया जीवन:

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा राजवाड़ा संरक्षण और पुनर्स्थापन परियोजना के अंतर्गत ₹11 करोड़ 21 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इसके अंतर्गत दरबार हॉल को संरक्षित किया जाएगा और इसका गौरवमयी वैभव फिर से जीवित होगा। इस कार्य का भूमि पूजन मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा।

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