जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में गौ संरक्षण और संवर्धन को लेकर सरकार अब तेजी से ठोस कदम उठाने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को मंत्रालय में गौ संवर्धन बोर्ड की बैठक की, जिसमें गौशालाओं की स्थिति सुधारने, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और गौपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में पशुपालन मंत्री लखन पटेल भी मौजूद रहे।
दुग्ध उत्पादन को 9 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य
बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है। वर्तमान में राज्य का योगदान करीब 9 प्रतिशत है, जिसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए आधुनिक तकनीक, बेहतर नस्ल संवर्धन और चारा विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
गौशालाओं को मिलेगा तकनीकी मार्गदर्शन
गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए बोर्ड की ओर से कई तरह की योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। इनमें गोबर और गौमूत्र से औषधि, फसल रक्षक और जैविक खाद का निर्माण, बायोगैस संयंत्र की स्थापना, औषधीय पौधों और सब्जी-फूलों की खेती जैसे काम शामिल हैं। इससे गौशालाएं केवल गायों के पालन तक सीमित न रहकर, अतिरिक्त आय के स्रोत भी विकसित कर सकेंगी।
धार्मिक संस्थाओं और दानदाताओं की भूमिका अहम
मुख्यमंत्री ने बैठक में स्पष्ट किया कि गौशालाओं के प्रबंधन और गौपालन को प्रोत्साहन देने के लिए धार्मिक संस्थाओं और समाजसेवी दानदाताओं को जोड़ना जरूरी है। सरकार चाहती है कि गौशालाएं केवल सरकारी सहायता पर निर्भर न रहें, बल्कि समाज के सहयोग से आत्मनिर्भर बनें।
मऊगंज की घटना ने बढ़ाई संवेदनशीलता
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को मऊगंज प्रवास के दौरान एक भावुक दृश्य के साक्षी बने थे। रकरा गांव में जब एक गौपालक ने अपनी गायों को आवाज दी, तो खुले मैदान में चर रही दर्जनों गायें दौड़कर उसके पास पहुंच गईं। इस नजारे को देखकर सीएम यादव ने कहा था कि गौमाता और गौसेवकों के बीच का यह रिश्ता आत्मीय और प्रेरणादायक है।
बैठक के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में गौ संरक्षण और संवर्धन शामिल है। गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने, गौपालकों को सहयोग देने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।