मध्यप्रदेश में सड़क हादसे बढ़े: 6 महीने में 69,951 केस, 61% युवा शिकार; तेज रफ्तार और लापरवाही ने छीनी हजारों ज़िंदगियां, सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ़ लगातार बढ़ता जा रहा है और यह स्थिति बेहद चिंताजनक होती जा रही है। साल 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी से जून) में ही प्रदेशभर में करीब 69,951 सड़क हादसे दर्ज किए गए। इन हादसों में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 61% पीड़ित (40,441 लोग) 30 साल से कम उम्र के युवा थे। यानी जिन हाथों में कल देश का भविष्य है, वही हाथ स्टीयरिंग और स्पीड के शौक में जिंदगी गंवा रहे हैं।

हादसों की सबसे बड़ी वजह – तेज रफ्तार और लापरवाही

हमीदिया अस्पताल और 108 एम्बुलेंस सेवाओं के रिकॉर्ड बताते हैं कि 35–40% सड़क हादसे सिर्फ ओवर स्पीडिंग की वजह से होते हैं। इसके अलावा शराब पीकर ड्राइविंग करना, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, मोबाइल पर चैटिंग और वाहनों की खराब स्थिति भी बड़ी वजह बनती हैं।

प्रमुख कारण

  • सीट बेल्ट और हेलमेट की अनदेखी – ज्यादातर पीड़ितों ने सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया।

  • रफ्तार का जुनून – खासकर 18 से 25 साल के युवा स्टंट और ओवर स्पीडिंग में हादसों का शिकार होते हैं।

  • मोबाइल फोन का इस्तेमाल – ड्राइविंग के दौरान ध्यान भटकना दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है।

  • नशे में वाहन चलाना – शराब या नशे की हालत में ड्राइविंग करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

  • वाहनों और सड़कों की खराब स्थिति – ब्रेक फेल, टायर ब्लास्ट और गड्ढेदार सड़कों से भी जानलेवा हालात बन जाते हैं।

दर्दनाक हादसों की कहानियां

सड़क हादसों के पीछे सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि अधूरी कहानियां छुपी होती हैं।

केस-1: तीन दोस्तों की मौत, एक की जिंदगी बोझ बनी

4 जनवरी को भोपाल के गांधी नगर रोड पर धुंध भरी रात में एक कार खड़े ट्रक से टकरा गई। ड्राइवर शैलेष गुप्ता ने सीट बेल्ट पहनी हुई थी, इसलिए वे बच गए। लेकिन उनके तीन दोस्तों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। शैलेष कई दिनों तक कोमा में रहे और जब होश आया तो उन्हें पता चला कि उनके दोस्त अब कभी वापस नहीं आएंगे। उन्होंने कहा –
“अगर उस रात मैंने स्पीड पर काबू रखा होता, तो मेरे तीनों दोस्त आज ज़िंदा होते।”

केस-2: SUV की टक्कर से जिंदगी ठहर गई

मई में भोपाल के एक निजी अस्पताल के मैनेजर रत्नाकर बाइक से ऑफिस जा रहे थे। अचानक गलत दिशा से आई एक SUV ने उन्हें टक्कर मार दी और फरार हो गई। हादसे में उनके दोनों पैर टूट गए, रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई और वे पिछले तीन महीनों से बिस्तर पर हैं। यह हादसा उनकी पेशेवर और निजी जिंदगी दोनों को तहस-नहस कर चुका है।

विशेषज्ञ की राय

गांधी मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप गुप्ता का कहना है कि –

  • हर 10 गंभीर घायलों में से करीब 3 की मौत हो जाती है।

  • हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने से गंभीर चोटों के बाद भी जान बच सकती है।

  • ट्रैफिक नियमों का पालन ही सड़क हादसों को रोकने का सबसे कारगर उपाय है।

सड़क हादसे रोकने के उपाय

  • दोपहिया वाहन पर हमेशा हेलमेट पहनें।

  • कार में आगे और पीछे सभी यात्री सीट बेल्ट लगाएं।

  • निर्धारित स्पीड लिमिट का पालन करें और ओवरटेकिंग से बचें।

  • ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल न करें।

  • शराब पीकर कभी वाहन न चलाएं।

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