जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
रुमेटाइड अर्थराइटिस यानी RA, एक ऐसी खतरनाक ऑटो इम्यून बीमारी है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को भ्रमित कर देती है। आमतौर पर यह प्रणाली बाहरी संक्रमण से हमारी रक्षा करती है, लेकिन इस बीमारी में यह खुद शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करने लगती है – विशेषकर जोड़ों पर। नतीजा? असहनीय दर्द, सूजन, अकड़न और कुछ मामलों में चलने-फिरने में भी लाचारी। हैरान कर देने वाली बात ये है कि भारत में हर साल लाखों लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं, और जागरूकता की कमी के चलते समय पर इलाज भी नहीं हो पाता।
रुमेटाइड अर्थराइटिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ घरेलू उपाय, योग, आयुर्वेद और सही खान-पान से इसके दर्द और लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कैसे:
गर्म और ठंडे सेक से करें दर्द को मात
सबसे आसान लेकिन असरदार उपाय है – हॉट एंड कोल्ड थेरेपी। गर्म पानी से सेक करने से रक्त संचार सुधरता है और मांसपेशियां राहत महसूस करती हैं। वहीं ठंडा सेक यानी बर्फ का इस्तेमाल सूजन को शांत करता है। रोजाना दिन में 2 बार, 15-15 मिनट तक गर्म और ठंडे सेक के संतुलित इस्तेमाल से राहत मिल सकती है। विशेष तौर पर सुबह की अकड़न में ये थेरेपी रामबाण साबित हो सकती है।
योग और हल्का व्यायाम – बीमारी नहीं, बेबसी से लड़ाई है ये
RA के मरीजों के लिए पूरी तरह आराम करना जितना नुकसानदेह है, उतना ही ज़रूरी है हल्का और नियमित व्यायाम। तैराकी, साइकिलिंग, धीमी वॉक, स्ट्रेचिंग और योगासन जैसे वज्रासन, भुजंगासन जोड़ों की लचीलापन और ताकत को बनाए रखते हैं। इससे न केवल शरीर सक्रिय रहता है, बल्कि मानसिक तनाव भी दूर होता है। सावधानी ज़रूरी है, कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ – सदियों पुराना इलाज, आधुनिक राहत
भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में हल्दी, अदरक, अश्वगंधा, गिलोय जैसी जड़ी-बूटियों को सूजन और दर्द में कारगर माना गया है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन घटाने में सहायक है, जबकि अदरक दर्द निवारण में मदद करता है। अश्वगंधा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को संतुलित करता है। इन जड़ी-बूटियों को चाय, काढ़ा या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है – लेकिन आयुर्वेदिक डॉक्टर की राय के बिना नहीं।
मालिश – सिर्फ आराम नहीं, राहत का विज्ञान
हल्के हाथों से की गई मालिश RA से जुड़ी मांसपेशियों की जकड़न को दूर करती है। स्वीडिश मालिश तकनीक, जो धीमे और लंबे स्ट्रोक्स से की जाती है, रक्त संचार को सुधारती है और दर्द में राहत देती है। ध्यान रखें – गलत तरीके से की गई मालिश से दर्द बढ़ भी सकता है, इसलिए प्रशिक्षित थेरेपिस्ट की मदद लें।
संतुलित आहार और ओमेगा-3 फैटी एसिड – प्लेट से मिलेगी राहत
RA जैसी बीमारियों में आहार की भूमिका बहुत अहम होती है। एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट अपनाना जरूरी है – जिसमें हरी सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, ड्राई फ्रूट्स, और खासकर ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली (जैसे सैल्मन, टूना) शामिल हों। ये न सिर्फ सूजन को घटाते हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम को बैलेंस करने में मदद करते हैं।
चेतावनी: लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
RA धीरे-धीरे हड्डियों को खा जाती है। शुरुआती लक्षण जैसे – जोड़ों में हल्की सूजन, सुबह के वक्त ज्यादा अकड़न, थकान और वजन कम होना – अगर दिखें, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें। देर करने पर ये बीमारी स्थायी विकलांगता तक ले जा सकती है।
📢 Disclaimer: यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है। इसमें बताए गए उपाय किसी भी सूरत में डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं हैं। RA एक गंभीर और जटिल बीमारी है, इसलिए हर कदम सोच-समझकर और विशेषज्ञ की निगरानी में ही उठाएं।